Benign breast disease

बिनाइन (सौम्य) स्तन रोग

बिनाइन (सौम्य) स्तन रोग की बात करें, तो ये स्तन के सामान्य रोग हैं, कैंसर नहीं। स्तन में बिनाइन (सौम्य) रोग कई प्रकार के हो सकते हैं और प्रारंभिक स्तन कैंसर की तरह ही मौजूद हो सकते हैं। स्तन में ऐसे लक्षणों का होना, मरीज के लिए आम बात है, लेकिन यह स्तन कैंसर की संभावना के चलते मरीजों को चिंतित करता है। ऐसी स्थिति में, यह महत्वपूर्ण होता है कि इस तरह के लक्षणों का मूल्यांकन डॉक्टर द्वारा किया जाए तथा कैंसर है या नहीं, इसके लिए उचित परीक्षण किए जाएं। अधिकांश मरीजों में, इस तरह के परीक्षणों को करके बिनाइन (सौम्य) स्तन की स्थिति का पता चलता है।

कुछ बिनाइन (सौम्य) स्तन रोगों से भविष्य में स्तन कैंसर के विकसित होने की संभावना बढ़ सकती है। और इसलिए, ऐसे मामलों में इन स्थितियों से निपटने के लिए डॉक्टर ही सबसे अच्छा उपाय बता सकता है।

कुछ सामान्य बिनाइन (सौम्य) स्तन रोगों का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है।

स्तन का फाइब्रोएडेनोमा (तंतुर्बुद)

15 से 30 वर्ष की आयु के मरीजों में यह एक सामान्य स्थिति है। यह स्तन में ग्रंथि जैसी कोशिकाओं और संयोजी ऊतक का एक संग्रह होता है। एक साथ मिलकर वे गांठ में बदल जाते हैं, जिसे मरीज महसूस कर सकता है। इसके किनारे स्पष्ट होते हैं तथा यह रबड़ जैसा लगता है और स्तन में स्वतंत्र रूप से गतिशील (इधर-उधर) होते रहता है। कुछ महिलाओं को स्तन के इस भाग में दर्द या बेचैनी हो सकती है।

फाइब्रोएडेनोमा (तंतुर्बुद) एक या दोनों स्तनों में एक या कई हो सकता है। ये भिन्न-भिन्न आकार के हो सकते हैं लेकिन आमतौर पर 2 सेमी से छोटे होते हैं। कुछ फाइब्रोएडेनोमा (तंतुर्बुद) बड़े हो सकते हैं तथा आकार में 5 सेमी तक बढ़ सकते हैं। फाइब्रोएडेनोमा (तंतुर्बुद) सामान्य या जटिल हो सकते हैं। जटिल वाले फाइब्रोएडेनोमा (तंतुर्बुद) ठोस और सिस्ट (पुटी) जैसे घटकों का संमिश्रण हो सकते हैं।

फाइब्रोएडेनोमा (तंतुर्बुद) का रोग-निर्णय नैदानिक परीक्षण करके किया जाता है। रोग की पुष्टि अल्ट्रासाउंड स्कैन, मेम्मोग्राम तथा गांठ (मांस पिंड) की निडिल सैंपलिंग करके की जा सकती है। फाइब्रोएडेनोमा (तंतुर्बुद) का स्तन कैंसर में बदलने का खतरा बहुत कम होता है।

एक बार रोग की पुष्टि हो जाने के बाद, छोटे फाइब्रोएडेनोमा (तंतुर्बुद) को बिना कोई उपचार किए ऐसे ही छोड़ दिया जाता है। बड़े, जटिल और रोग के लक्षण वाले फाइब्रोएडेनोमा (तंतुर्बुद) को सर्जरी करके निकाल दिया जाता है।

स्तन का फिलोड्स ट्यूमर

यह भी स्तन की एक स्थिति (रोग) है, जो आमतौर पर एक गांठ (मांस पिंड) के रूप में दिखती है। फीलोड्स ट्यूमर एक बिनाइन (सौम्य) रोग से लेकर कैंसर जैसे लक्षण दिखा सकता है और कुछ फीलोड्स ट्यूमर इन दोनों के बीच की स्थिति हो सकती है। मरीज को फाइब्रोएडीनोमा की तरह ही स्तन में गांठ का अनुभव होता है।

यदि फीलोड्स ट्यूमर का पता निडल एस्पिरेशन (FNAC) द्वारा चलता है, तो इस ट्यूमर को सर्जरी करके निकाल दिया जाता है। हिस्टोपैथोलॉजी रिपोर्ट से स्पष्ट रूप से ट्यूमर के प्रकार की पहचान करने में मदद मिलती है। इनमें से अधिकांश ट्यूमर सौम्य होते हैं और सर्जरी के बाद इनके लिए किसी और उपचार की जरूरत नहीं होती। बहुत कम ही ये ट्यूमर कैंसर के एकदम पहले की स्थिति या कैंसर के प्रारंभिक रूप हो सकते हैं, ऐसे में रेडियोथेरेपी जैसे अन्य उपचार विकल्पों की आवश्यकता हो सकती है।

डक्ट पैपिलोमा

डक्टल पैपिलोमा का मतलब स्तन की धमनियों में वृद्धि होने से है। इसका आकार मस्से जैसा होता है। जैसे ही, स्तन की धमनियों में यह बढ़ता है, इसके लक्षणों में निपल (स्तनाग्र) से कुछ तरहल निकलने लगता है। यह तरल स्पष्ट, भूरा या खून जैसा हो सकता है। कुछ मरीजों में स्तन के इस भाग में गांठ या दर्द हो सकता है।

माइक्रोडोक्टेक्टोमी नामक एक छोटी सी सर्जरी करके इसका उपचार कर दिया जाता है। इस सर्जरी में पैपिलोमा के साथ धमनी को हटा दिया जाता है।

ब्रेस्ट सिस्ट (स्तन पुटिका)

आम लोगों में ब्रेस्ट सिस्ट होना बहुत सामान्य बात है तथा 30-50 की उम्र की महिलाओं में यह सौम्य गांठ (मांस पिंड) का सबसे सामान्य लक्षण होता है। सिस्ट (पुटिका) एक थैलीनुमा चीज है, जिसमें तरल भरा होता है। एक या दोनों स्तनों में एक या कई सिस्ट (पुटिकाएं) हो सकते हैं। गांठें नरम होती हैं और गतिशील भी। इनकी पुष्टि करने में सहायता के लिए अल्ट्रासाउंड स्कैन और एफएनएसी (FNAC) किया जाता है और इतना ही नहीं, सिस्ट में से तरल को निकालने के लिए भी एफएनएसी (FNAC) का उपयोग किया जा सकता है। सिस्ट सामान्य या जटिल हो सकते हैं, जिसका कारण उनमें किसी ठोस घटक का होना या सेप्टेशन का होना होता है, जो सिस्ट को कक्षों में विभाजित कर देता है। इन लक्षणों के आधार पर यह निर्धारित किया जाता है कि क्या बिना किसी उपचार के सिस्ट को निकाला जाए या स्तन में ही रहने दिया जाए।

एटिपिकल हाइपरप्लासिया

हाइपरप्लासिया वह स्थिति है, जिसमें कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है, जबकि एटिपिकल हाइपरप्लासिया का मतलब है कि स्तन में असामान्य कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि हो गई है। ये कोशिकाएँ कैंसर कोशिकाएँ नहीं होती हैं, लेकिन अगले 10-15 सालों में इनके कैंसर में बदल जाने की उम्मीद होती है। एटिपिकल हाइपरप्लासिया स्तन की धमनियों (डक्ट) में हो सकता है, जिसे एटिपिकल डक्टल हाइपरप्लासिया कहा जाता है और अगर यह लोब्युल (पालिका) में है, तो इसे एटिपिकल लोब्युलर हाइपरप्लासिया कहा जाता है। एटिपिकल हाइपरप्लासिया वाले मरीजों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं तथा इस स्थिति का पता केवल तभी चल सकता है, जब स्तनों का मैमोग्राम या अन्य नियमित परीक्षण किए जाते हैं। जिन मरीजों में इसका पता चलता है, उसका उपचार नियमित रूप से मैमोग्राम करके या टिपिकल हाइपरप्लासिया के उस भाग को निकालकर किया जा सकता है। भविष्य में कैंसर के खतरे को कम करने के लिए एडीएच (ADH) वाले कुछ मरीजों में टैमोक्सिफ़ेन या अन्य दवा की गोलियां का उपयोग किया जा सकता है। इस विकल्प के फायदे के साथ नुकसान भी हो सकते हैं इसलिए, ऑन्कोलॉजिस्ट के साथ चर्चा करने के बाद ही इन्हें दिया जाना चाहिए।