Cancer surgery

कैंसर सर्जरी – अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

कैंसर में सर्जरी का उपयोग कब किया जाता है?

कैंसर में सर्जरी का उपयोग विभिन्‍न परिदृश्‍यों / स्‍थितियों में किया जाता है.

रोगहर शल्‍यक्रिया (क्यूरेटिव सर्जरी)

रोगहर शल्‍यक्रिया (क्यूरेटिव सर्जरी) का उद्देश्य उन सभी कैंसर को दूर करना है जो परीक्षणों में दिखाई देते हैं. इस तरह की सर्जरी से कैंसर का इलाज संभव है. क्यूरेटिव सर्जरी कैंसर के शुरुआती चरणों में की जाती है और कुछ मामलों में कैंसर के स्टेज 3 में होने पर की जाती है. क्यूरेटिव सर्जरी या तो अकेले की जाती है या सर्जरी के बाद दी जाने वाली कीमोथेरेपी और / या रेडियोथेरेपी के साथ जोड़ दी जाती है. इन उपचारों से अकेले सर्जरी की तुलना में इलाज होने की संभावना बढ़ जाती है. इन अतिरिक्‍त उपचारों का उपयोग उपचार के समय कैंसर के प्रकार और स्‍टेज पर निर्भर करता है.

अरोगहर शल्‍यक्रिया (उपशामक सर्जरी)

यहां लक्षणों को नियंत्रित करने और रोगी को ठीक करने के बजाय रोगी को बेहतर बनाने के इरादे से सर्जरी की जाती है. इस प्रकार की सर्जरी उन मरीजों में की जाती है जहाँ कैंसर इतना उन्नत होता है कि इसे दूर करना संभव नहीं है या कैंसर शरीर के विभिन्न भागों (स्‍टेज 4) में फैल गया है और इसलिए यह उपचार योग्य नहीं है. इस प्रकार की सर्जरी के उदाहरणों में एक अवरुद्ध आंत में उपमार्ग (बाईपास) करना, मरीज के लिए लक्षणों में सुधार लाने के लिए कैंसर के थोक को कम करने के लिए डिबल्‍किंग सर्जरी शामिल है.

संभाव्‍य रूप से उपचारात्मक सर्जरी

कुछ मरीजों को जिनके अतीत में उपचारात्मक उपचार हुए हैं, शरीर के किसी एक क्षेत्र में उनके कैंसर की पुनरावृत्ति हो सकती है. उपचार के विकल्पों पर चर्चा की जाती है और यदि यह पुनरावृत्ति अलग है और शल्‍यक्रिया-योग्‍य होती है, तो एक संभाव्‍य उपचारात्मक सर्जरी की जाती है. इसका उद्देश्य इलाज के अवसर के साथ कैंसर के नियंत्रण को अधिकतम करना है.

नैदानिक सर्जरी

इस तरह की सर्जरी कैंसर के निदान के साथ-साथ एक ही समय में उपचार में मदद करने के लिए की जाती है. आम तौर पर बड़ी सर्जरी से पहले एक बायोप्सी की जाती है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में दोनों एक ही समय में की जा सकती हैं.

निवारक सर्जरी

मरीज में कैंसर का पता चलने से पहले यह सर्जरी की जाती है. इस प्रकार की सर्जरी केवल उन मरीजों पर लागू होती है जहाँ एक प्रकार का कैंसर होने का बहुत अधिक जोखिम होता है. उदाहरण के लिए, बीआरसीए जीन वाहक में स्तनों को हटाना – जहां स्तन कैंसर का खतरा अधिक होता है.

प्रत्‍यर्पणीय / कॉस्‍मेटिक / पुनर्संरचनात्‍मक सर्जरी

इस तरह की शल्‍यक्रिया आमतौर पर सिर और गर्दन के क्षेत्र, स्तन और अंग के कैंसर में की जाती है. आमतौर पर ये सर्जरी क्यूरेटिव कैंसर सर्जरी के साथ या बाद में की जाती हैं. उनका उपयोग उस अंग के कार्य को बहाल करने के लिए किया जाता है जिसकी शल्‍यक्रिया की गई है या बड़ी शल्‍यक्रिया के बाद कॉस्मेटिक परिणाम में सुधार लाने के लिए किया जाता है.

कैंसर में प्रयुक्‍त शल्‍यक्रिया की विभिन्‍न पद्धतियां कौन-सी हैं?

कैंसर का इलाज करने के लिए सर्जरी विभिन्‍न रूपों में की जाती है.

ओपन सर्जरी

यह सर्जरी का मानक रूप है जहां इलाज किए जाने वाले क्षेत्र में एक चीरा लगाया जाता है और उसके माध्यम से कैंसर को हटा दिया जाता है. उदाहरण के लिए, यदि कैंसर पेट में है, तो शल्‍यक्रिया के लिए पेट में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है. इस पद्धति के फायदे यह हैं कि इसे करना तकनीकी रूप से आसान है और कुछ स्थितियों में एकमात्र विकल्प है. अन्य विधियों की तुलना में इस विधि में स्‍वास्‍थ्‍यलाभ (रिकवरी) अवधि लंबी होती है.

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी

यह एक ऐसी प्रकार की सर्जरी है जहाँ लगभग 1-2 सेमी आकार के 3-4 छोटे छेद किए जाते हैं और उनके माध्यम से ऑपरेशन किया जाता है. लैप्रोस्कोप एक उपकरण होता है जिसमें एक कैमरा होता है और उसे एक छेद में डाला जाता है. शल्‍यक्रिया चिकित्‍सक इस उपकरण के माध्‍यम से शरीर के भीतर (शल्‍यक्रिया के क्षेत्र में ) देखने में सक्षम होता है. शल्‍यक्रिया उपकरण अन्‍य छेदों के माध्‍यम से अंदर डाले जाते हैं. इस तकनीक का लाभ यह है कि व्रण-चिह्न छोटा होता है, और उपचार जल्दी होता है. यह तकनीक सभी कैंसर शल्‍यक्रियाओं में उपयुक्त नहीं है. इसमें नुकसान यह है कि शल्‍यक्रिया की अवधि खुली विधि से अधिक लंबी हो सकती है और विशेषज्ञता हासिल करने के लिए विशेष प्रशिक्षण और कौशल की आवश्यकता होती है.

रोबोटिक सर्जरी

यह लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का दूसरा रूप है लेकिन यह रोबोट सिस्‍टम की मदद से की जाती है जो उपकरणों को नियंत्रित करता है. यहां, लेप्रोस्कोपी की तरह, शल्‍यक्रिया के क्षेत्र में छोटे छेद किए जाते हैं. सर्जन मरीज से दूर एक कंसोल पर बैठता है और शल्‍यक्रिया करने के लिए कंप्यूटर का उपयोग करता है. सर्जन द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई को रोबोटिक सिस्टम के माध्यम से उपकरणों को स्थानांतरित किया जाता है. इस विधि का उपयोग कुछ कैंसरों के इलाज में किया जाता है और लेप्रोस्कोपी की तरह मरीजों को जल्दी ठीक करने में मदद मिल सकती है. कुछ प्रकार की कैंसर सर्जरी में, अनुषंगी प्रभाव सर्जरी के अन्य रूपों से कम भी हो सकते हैं. यह विधि हालांकि अन्य विकल्पों की तुलना में काफी अधिक महंगी है.

कम सामान्‍य प्रकार की सर्जरी

कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कम सामान्य प्रकार की सर्जरी में शामिल हैं :
लेज़र सर्जरी – जहां कैंसर कोशिकाओं को जलाने के लिए लेज़र का इस्‍तेमाल किया जाता है और कुछ प्रारंभिक अवस्‍था के कैंसरों जैसे गर्भाशय ग्रीवा, गुदा आदि का उपचार करने के लिए उपयोग किया जाता है.
क्रायोथेरेपी – जहां एक एषणी (प्रोब) कैंसर में डाली जाती है और कैंसर कोशिकाओं को अत्‍यंत ठंडे तापमान पर जमाया / फ्रीज किया जाता है.
रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन – जहां एक एषणी (प्रोब) कैंसर में डाली जाती है और उच्‍च ऊर्जा विकिरण तरंगें गुजारी जाती हैं जो कैंसर कोशिकाओं को गर्म करती हैं और उन्‍हें मारती हैं.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन तकनीकों का उपयोग केवल बहुत सीमित संख्या में कैंसर के लिए किया जाता है.

सर्जरी के लिए निर्णय लेने के बाद क्या होता है?

जब एक बार डॉक्टर और मरीज ने किसी एक प्रकार की सर्जरी का फैसला किया है, तो मरीज को रक्त परीक्षण के साथ-साथ संवेदनाहारी (ऐनिस्‍थेटिक) टीम और अन्य विशेषज्ञों जैसे कि चिकित्सकों या हृदयरोग विशेषड (कार्डियोलॉजिस्ट) से परामर्श करने और यह देखने के लिए किया जाता है कि क्‍या मरीज ऑपरेशन के लिए पर्याप्‍त रूप से फिट है या नहीं.

कैंसर सर्जरी के दौरान किस प्रकार के निश्‍चेतक (एनेस्‍थीसिया) का उपयोग किया जाता है?

एनेस्थीसिया सर्जरी से जुड़ी असुविधा और दर्द को कम करने के लिए दवाओं का उपयोग है. एनेस्थीसिया कई प्रकार का हो सकता है और सामान्‍य एनेस्थीसिया नीचे सूचीबद्ध हैं.

स्थानिक

स्‍थानिक (लोकल) एनेस्थीसिया वह जगह है जहाँ दवाई उस स्‍थान के आसपास इंजेक्ट की जाती है जहाँ सर्जरी होनी है. दवा क्षेत्र को सुन्न कर देती है ताकि मरीज को सर्जरी के दौरान कोई दर्द महसूस न हो. दवा का प्रभाव आमतौर पर सर्जरी के बाद कुछ मिनटों से लेकर घंटों में खत्‍म हो जाता है.

क्षेत्रीय

इस प्रकार के एनेस्थीसिया में, स्थानिक एनेस्थीसिया की तुलना में बड़े क्षेत्र को सुन्न करने के लिए दवा दी जाती है. मरीज को आराम पहुंचाने के लिए क्षेत्रीय एनेस्थीसिया के साथ हल्की नींद आने के लिए दवाओं का भी उपयोग किया जा सकता है. इस प्रकार का एनेस्थीसिया एक तंत्रिका अवरोध या मेरुदंडीय (स्पाइनल) एनेस्थेसिया है.

सामान्य

यह एक प्रकार का एनेस्थीसिया है जिसमें मरीज को इंजेक्शन लगाकर सुलाया जाता है. मरीज को सांस लेने में मदद करने के लिए श्‍वासनली (विंडपाइप) में एक ट्यूब डाली जाती है. यह कैंसर सर्जरी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे सामान्‍य प्रकार का एनेस्थीसिया है.

सर्जरी के बाद क्या होता है?

सर्जरी के बाद, मरीज कुछ दिनों के लिए अस्पताल में रहता है. शल्य चिकित्सा स्थल पर इकट्ठा होने वाले किसी भी तरल पदार्थ को निकालने में मदद के लिए शल्‍यक्रिया के स्‍थान पर निकास नली लगायी जाती है. जब तरल पदार्थ निकलना बंद हो जाता है तो इन्‍हें कुछ दिनों के बाद निकाल दिया जाता है. जब एक बार मरीज खाना शुरू कर देता है और बेहतर महसूस कर रहा होता है, तो उसे घर के लिए छुट्टी दे दी जाती है और शल्‍यक्रिया के समय लगाए जाने वाले टांके या शल्यचिकित्सा क्लिप को हटाने के लिए लगभग दो सप्ताह बाद बाह्य मरीज (आउट पेशेंट) क्लिनिक में देखा जाता है.

शल्‍यचिकित्‍सक (सर्जन) उस विजिट में मरीज को सर्जरी के परिणाम और ऊतकविज्ञान (हिस्टोलॉजी) रिपोर्ट के बारे में भी समझाएगा. यह रिपोर्ट कैंसर के बारे में विस्तार से बताती है और यह बताएगी कि आगे के उपचार की आवश्यकता है या नहीं.

कैंसर सर्जरी की संभावित जटिलताएं क्या हैं?

किसी भी सर्जरी की तरह, कैंसर सर्जरी भी अनुषंगी प्रभावों (साइड इफेक्ट्स) और जटिलताओं से जुड़ी हो सकती है. इनमें से अधिकांश की जाने वाली सर्जरी के प्रकार के लिए विशिष्ट हैं लेकिन सर्जरी से जुड़ी कुछ सामान्य जटिलताओं में निम्‍ललिखित शामिल हैं:

संक्रमण

संक्रमण किसी भी सर्जरी से जुड़ी एक महत्वपूर्ण जटिलता है. संक्रमण शल्‍यक्रिया किए गए क्षेत्र या अन्य क्षेत्रों जैसे फेफड़ों या मूत्र पथ में हो सकता है. आमतौर पर, संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए सर्जरी से पहले, के दौरान और बाद में सभी सावधानियां बरती जाती हैं.

दर्द

दर्द सर्जरी का एक सामान्य अनुषंगी प्रभावा होता है लेकिन इसे अच्छे दर्द निवारक दवाइयों (pain killers) से नियंत्रित किया जा सकता है.

खून की कमी

सर्जरी के दौरान रक्त निकलता है जो आमतौर पर न्यूनतम होता है, लेकिन कभी-कभी शल्‍यक्रिया के दौरान या के बाद रक्‍त आधान (blood transfusion) की आवश्‍यकता होती है.