वंशानुगत स्तन और डिंबग्रंथि (ओवेरियन) कैंसर
लोगों में पता चलने वाले अधिकांश कैंसर वंशानुगत नहीं होते हैं। इसका अर्थ यह है कि कैंसर का मुख्य कारण आनुवंशिक उत्परिवर्तन (जेनेटिक म्यूटेशन) नहीं है जो माता-पिता से बच्चे में संचरित या स्थानांतरित होता है। कैंसर का विकास अन्य (स्वाभाविक) कारणों से होने वाले आनुवंशिक उत्परिवर्तनों के चलते होता है लेकिन माता-पिता से बच्चे में स्थानांतरित होने के कारण नहीं। सभी तरह के कैंसर में, लगभग 5% मामलों में महत्वपूर्ण आनुवंशिक संबंध देखा जाता है।
वंशानुगत स्तन और डिंबग्रंथि (ओवेरियन) कैंसर
स्तन और डिंबग्रंथि के कैंसर वाली अधिकांश महिलाओं में वंशानुगत संबंध नहीं देखा गया है। आमतौर पर लगभग 5%-10% कैंसर के मामलों में यह संबंध हो सकता है, लेकिन ऐसा महसूस किया जाता है कि भारतीय आबादी में यह आंकड़ा ज्यादा है। अधिकांश वंशानुगत स्तन और डिंबग्रंथि कैंसर की वजह बीआरसीए1 और बीआरसीए 2 जीन में मौजूद उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) होते हैं। कुछ मामलों में टीपी53 और पीएएलबी2 जैसे अन्य उत्परिवर्तनों की भूमिका भी देखी गई है। जिन मरीजों या परिवारों में बीआरसीए1 और बीआरसीए2 उत्परिवर्तन होते हैं, उनमें स्तन और डिंबग्रंथि कैंसर के साथ-साथ परिवार के पुरुषों में स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और अग्नाशय (पैंक्रियाटिक) कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
(कैंसर से मुक्त) सामान्य आबादी में बीआरसीए1 और बीआरसीए2 उत्परिवर्तन होने का खतरा कम है, लेकिन जिन मरीजों के इन जीन में उत्परिवर्तन पाया गया है उनमें कैंसर होने का जोखिम अधिक है। उदाहरण के लिए, इस तरह के उत्परिवर्तन वाले मरीज में, उनके जीवनकाल में स्तन कैंसर का 70% जोखिम होता है जबकि डिंबग्रंथि कैंसर होने का 20%-40% जोखिम है। इस उत्परिवर्तन वाले पुरुषों में स्तन कैंसर का जोखिम 7%-8% होता है।
इस स्थिति के लिए किनका परीक्षण किया जाना चाहिए?
ऐसे कई दिशानिर्देश हैं जिनका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि बीआरसीए1 और बीआरसीए2 उत्परिवर्तन के परीक्षण के लिए किन लोगों पर विचार किया जाना चाहिए। इनमें स्तन कैंसर या डिंबग्रंथि कैंसर के इतिहास वाले लोग या उनके 45-50 वर्ष से कम आयु के करीबी रिश्तेदार, स्तन कैंसर वाले रिश्तेदार, पुरुष स्तन कैंसर, प्रोस्टेट या अग्नाशय (पैंक्रियाटिक) कैंसर के करीबी पारिवारिक इतिहास वाले लोग शामिल हो सकते हैं।
इसका परीक्षण कैसे किया जाता है?
परीक्षण या तो रक्त नमूना या मुंह से फाहे में लिए गए नमूने का उपयोग करके किया जाता है, और उसे मल्टी जीन पैनल टेस्टिंग (एनजीएस) के लिए भेजा जाता है।
यदि बीआरसीए का परिणाम पॉज़िटिव आता है तो क्या करें?
उन लोगों या मरीजों को निम्नलिखित की सलाह दी जाती है जिनके बीआरसीए1 और बीआरसीए2 जीन में कैंसरकारी उत्परिवर्तन का परीक्षण पॉज़िटिव पाया गया है।
जीवन-शैली में सुधार की दृष्टि से निम्न बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए: धूम्रपान का त्याग, गर्भनिरोधक गोली न लेने पर विचार, स्तनपान कराना क्योंकि इससे स्तन और डिंबग्रंथि कैंसर के जोखिम में कमी आ सकती है।
जिन महिलाओं में स्तन कैंसर का कोई इतिहास न होने पर भी बीआरसीए पॉज़िटिव पाया गया है, उनके दोनों स्तन और डिंबग्रंथि निकालने से इन कैंसरों के होने का खतरा काफी हद कम हो जाता है। हालाँकि, इससे जोखिम पूरी तरह से समाप्त नहीं होता है। इस तरह की सर्जरी के दुष्प्रभाव होते हैं क्योंकि डिंबग्रंथि निकालने से मासिक धर्म बंद हो जाता है जिससे आगे दूसरे लक्षण पैदा हो सकते हैं। जोखिम कम करने वाली सर्जरी के इस विकल्प पर इलाज करने वाले डॉक्टर के साथ विस्तार से चर्चा की जानी चाहिए, कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पहले इस तरह के कदम के फायदे और नुकसान का आकलन किया जाना चाहिए। परिवार पूरा होने (यानी बच्चे पैदा होने) के बाद इस सर्जरी पर विचार किया जाना चाहिए।
जोखिम कम करने वाली सर्जरी का विकल्प दोनों कैंसरों के लिए प्रभावी नियमित स्क्रीनिंग परीक्षण है। जिन लोगों की सर्जरी नहीं होती है, उनमें स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग 25 साल की उम्र से शुरू हो जाती है। उस उम्र में, अन्य परीक्षणों के साथ-साथ हर साल स्तन का एमआरआई स्कैन अनुशंसित है। डिंबग्रंथि कैंसर की स्क्रीनिंग 30 वर्ष की उम्र से हर 6 महीने में अल्ट्रासाउंड स्कैन (ट्रांस वेजाइनल) और ब्लड टेस्ट, सीए125 के साथ की जाती है।
यदि बीआरसीए पॉज़िटिव व्यक्ति को बच्चों की चाह है, तो पैदा होने वाले बच्चे में वंशानुगत रूप से बीआरसीए जीन होने की 50% संभावना है। निर्णय लेने से पहले इस तथ्य पर विचार करना चाहिए।