कैंसर में नेक्स्ट जनरेशन जीन सीक्वेंसिंग (एनजीएस)
नेक्स्ट जनरेशन जीन सीक्वेंसिंग एक डीएनए सीक्वेंसिंग टेक्नोलॉजी है जिसमें व्यक्ति के जीनोम को अनुक्रमित करने के लिए डीएनए के कई टुकड़ों की समानांतर सीक्वेंसिंग की जाती है। दूसरे शब्दों में, इस परीक्षण के द्वारा हम एक व्यक्ति या कैंसर में डीएनए अनुक्रम के बारे में जान पाते हैं और इनके व्यवहार का निर्धारण करने वाले परिवर्तनों को देखकर कैंसर के संभावित जोखिम के बारे में या संभावित उपचार विकल्पों के बारे में सूचित कर सकते हैं।
किसी व्यक्ति के खून से या मुँह, लार या बालों जैसे अन्य क्षेत्रों से डीएनए लिया जा सकता है। कैंसर के मरीजों में, बायोप्सी या ऑपरेशन के नमूने से डीएनए लिया जा सकता है।
ऐसी कई प्रकार की जीन सीक्वेंसिंग होती है जिन्हें किया जा सकता है। मरीज के पूरे जीनोम को अनुक्रमित किया जा सकता है। वैकल्पिक रूप से, यदि कैंसर ज्ञात है और हम डीएनए में विशिष्ट बदलावों को देखना चाहते हैं तो इनके जवाब पाने के लिए लक्षित जीन पैनलों का उपयोग किया जा सकता है। ऐसे कई पैनल उपलब्ध हैं, और डॉक्टर उस सेटिंग में सबसे उपयुक्त पैनल का चयन करता है।
कैंसर में एनजीएस परीक्षण के संभावित उपयोगों में शामिल हैं:
स्तन और डिंबग्रंथि कैंसर के वंशानुगत रूपों का परीक्षण। पीएएलबी2 और टीपी53 के साथ बीआरसीए1 और बीआरसीए2 में उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) देखने के लिए किया गया परीक्षण।
जठरांत्र पथ (गैस्ट्रो-इंटेस्टिनल ट्रैक्ट) के वंशानुगत कैंसर की स्क्रीनिंग
फैमिलियल ल्यूकेमिया सिंड्रोम को देखना
संभावित आनुवंशिक असामान्यताओं के लिए उन ट्यूमर डीएनए को देखना जिन पर कीमोथेरपी या विशिष्ट मोलेक्युलर लक्षित दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। ऐसा ही एक परीक्षण मेटास्टैटिक है जिसके द्वारा ठोस ट्यूमर में माइक्रोसैटेलाइट अस्थिरता (एमएसआई-एच) या मिसमैच रिपेयर डेफिसिएंट (डीएमएमआर) का पता लगाया जाता है।
इस तरह का परीक्षण कराने या नहीं कराने के निर्णय पर ऑन्कोलॉजिस्ट (कैंसर रोग विशेषज्ञ) या जीनटिसिस्ट (आनुवंशिक विज्ञानी) के साथ अच्छी तरह चर्चा की जानी चाहिए क्योंकि इस तरह के परीक्षण के फायदे और नुकसान हो सकते हैं। इस मामले में सोच-समझकर निर्णय लिया जाना चाहिए। उपरोक्त पेशेवरों से परामर्श किए बिना इसे कभी नहीं करना चाहिए।
जब परीक्षण के लिए नमूना भेजा जाता है, तो परिणाम मिलने में 1-2 सप्ताह का समय लग सकता है।
एनजीएस परिणामों की उचित व्याख्या महत्वपूर्ण है। इस परीक्षण से डीएनए में मौजूद कई उत्परिवर्तनों का पता लगाया जा सकता है। इन्हें कैंसर पैदा करने में सक्षम रोगजनक (पैथोजन) के रूप में वर्गीकृत या समूहीकृत किया जाएगा, संभावित रूप से रोगजनक (पैथोजेनिक)- कैंसर का कारण बन सकते हैं, बिनाइन- से कोई समस्या नहीं होती और ‘अज्ञात क्लीनिकल महत्व’ का अर्थ है कि इसका महत्व अज्ञात है। यह जानना आवश्यक है कि सभी उत्परिवर्तन हानिकारक नहीं होते, और जिस व्यक्ति या मरीज का परीक्षण होता है उसे परिणाम देखकर बेवजह चिंतित नहीं होना चाहिए।