कैंसर का इलाज महंगा क्यों हो रहा है?
पिछले दो दशकों में कैंसर के उपचार के विकल्प काफी बदल गए हैं. 20 साल पहले या 5 साल पहले की भी अपेक्षा में आज उपचार के अधिक विकल्प हैं. यह कैंसर के बारे में हमारी समझ और नई दवाओं के विकास और उस समझ के आधार पर निदान और उपचार की रणनीतियों जबरदस्त उन्नति के कारण हुआ है.
एक नई दवा, प्रक्रिया, रेडियोथेरेपी मशीन या जांच का विकास एक समय, लागत और श्रम-गहन प्रक्रिया है.
इस बारे में अधिक समझने के लिए, हम फेफड़ों के कैंसर के उपचार का उदाहरण ले सकते हैं.
2000 की शुरुआत में यदि कोई मरीज 4 गैर-लघु कोशिका फेफड़ा कैंसर से ग्रस्त था तो उपचार के विकल्प सीमित थे. इस बात पर बहस होती थी कि कीमोथेरेपी फायदेमंद होगी या नहीं. चूंकि उस समय कीमोथेरेपी के साथ उपचार के विकल्प सीमित थे और उस समय फेफड़े के कैंसर के लिए कोई जैविक या इम्यूनोथेरेपी नहीं थी, सभी मरीजों को लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कुछ रेडियोथेरेपी और संभवतः कुछ कीमो दिया जाता था. रोग के इलाज की लागत उस समय बहुत ज्यादा नहीं थी और उत्तरजीविता भी अच्छी नहीं थी.
अगले 15 वर्षों में, कई उपचारों के विकास के साथ आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है जो फेफड़ों के कैंसर के मरीजों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं. ये नए उपचार कैंसर कोशिका के विशिष्ट क्षेत्रों पर काम करते हैं, कीमोथेरेपी से बेहतर काम करते हैं, कीमोथेरेपी की तुलना में कम दुष्प्रभाव पैदा करते हैं लेकिन मानक कीमोथेरेपी की तुलना में अधिक महंगे हैं. इन दवाओं को विकसित करने में अंतर्विष्ट अनुसंधान, समय और धनराशि की मात्रा के कारण इन दवाओं की लागत अधिक है. इन दवाओं को सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में विकसित किया जाता है और कंपनियां उस खर्च को वसूलना चाहेंगी जो उन्होंने इन दवाओं के विकास पर खर्च किया है और लाभ भी कमाना चाहेंगी. औषधि का विकास एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें लैब से लेकर जानवरों और फिर मनुष्यों पर परीक्षण और फिर यादृच्छिकीकृत क्लिनिकल परीक्षण तक 15 साल तक का समय लग सकता है. इस सब में पैसा खर्च होता है.
कंप्यूटिंग तकनीक में महत्वपूर्ण प्रगति ने कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली रेडियोथेरेपी के रूप में क्रांति ला दी है. उदाहरण के लिए, एसबीआरटी फेफड़ों के प्रारंभिक कैंसर में उपयोग की जाने वाली रेडियोथेरेपी का एक रूप है जो ऑपरेशन की आवश्यकता के बिना सर्जरी की तरह अच्छे परिणाम प्रदान करती है.
इस तरह की सर्जरियों के लिए उपलब्ध उपकरणों में उन्नतियों के साथ सर्जिकल तकनीकों में परिवर्तन हुआ है जिससे कम दुष्प्रभाव के साथ अधिक जटिल सर्जरियों को भी संभव बनाया जा सके.
तेज स्कैन, बेहतर स्कैनर जो पहले की अपेक्षा अधिक विस्तृत चित्र देते हैं, कार्यात्मक स्कैन (पीईटी-सीटी) जो कैंसर के अधिक सटीक स्टेजिंग में मदद करते हैं, के रूप में नैदानिक प्रौद्योगिकी में सुधार यह सभी मरीज को बेहतर देखभाल प्रदान करते हैं लेकिन बढ़ी हुई लागत पर.
पिछले कुछ वर्षों में चेकपॉइंट इन्हिबिटर्स के साथ इम्यूनोथेरेपी के विकास ने आजकल फेफड़ों के कैंसर के इलाज में पूरी तरह से बदलाव ला दिया है और फेफड़ों के उन्नत कैंसर के उपचार में कीमोथेरेपी को लगभग पीछे कर दिया है.
इन सभी उन्नतियों ने 20 साल पहले की तुलना में फेफड़ों के कैंसर वाले मरीजों की उत्तरजीविता, जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार किया है. यह उपरोक्त सुधार एक बढ़ी हुई लागत के साथ जुड़ा हुआ है जो मरीज वहन करता है.
हमने यहां उदाहरण के तौर पर फेफड़ों के कैंसर का इस्तेमाल किया है, लेकिन यही बात सभी कैंसरों के लिए भी कही जा सकती है.
यह महत्वपूर्ण है कि न्यूनतम लागत के साथ अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए जोखिमों, लागतों, मरीज की इच्छाओं तथा वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए इन परीक्षणों और उपचारों के परिणामों को तौलते हुए उपचार के बेहतर कोर्स पर निर्णय लेने के लिए डॉक्टर और मरीज के बीच एक उचित और ईमानदार चर्चा होनी चाहिए.