बोन मेटास्टेसेस (हड्डी का अपना रूप बदलना)
सकेंडरी या मेटास्टेटिक कैंसर
कैंसर स्तन, फेफड़े आदि, जैसे शरीर के एक भाग से शुरू होकर अन्य अंगों, जैसे कि यकृत, मस्तिष्क या हड्डियों में फैल सकता है। कैंसर की उत्पत्ति जहां होती है, उस जगह को प्राथमिक स्थान तथा जिस भागों, अंगों आदि में यह फैलकर पहुंचता है, उन भागों को द्वितीयक स्थान कहा जाता है और इस द्वितीयक स्थानों पर विकसित हुए कैंसर को द्वितीयक (गौण) कैंसर या मेटास्टैटिक कैंसर कहा जाता है।
बोन मेटास्टेसेस
बोन मेटास्टेसेस, हड्डी में फैले द्वितीयक कैंसरों की जगह हैं। यह शरीर के किसी अन्य भाग से कैंसर के हड्डियों में फैलने पर होता है। आमतौर पर हड्डियों में फैलने वाले कैंसर स्तन, फेफड़े, प्रोस्टेट, किडनी, मायलोमा और थायरॉयड कैंसर होते हैं। अन्य भागों की तुलना में, कुछ अधिक सामान्य रूप से, अधिकांश कैंसर हड्डियों में फैल सकते हैं।
बोन मेटास्टेसेस तीन प्रकार के हो सकते हैं।
लाइटिक मेटास्टेसेस वे हैं, जहां कैंसर के चलते हड्डी का विनाश होता है, जिसे एक्स-रे किए जाने पर, कम घने चित्र के रूप में देखा जा सकता है।
ब्लास्टिक मेटास्टेसेस वे होते हैं, जो हड्डी में कैंसर के जमाव से बनते हैं और जब इस भाग का एक्स-रे किया जाता है, तो यह अन्य सामान्य हड्डी की तुलना में घना दिखाई देता है।
मिक्स्ड मेटास्टेसेस में कैंसर के चलते, लायटिक और ब्लास्टिक मेटास्टेसेस दोनों होते हैं।
जब कैंसर हड्डियों में फैलता है, तो मरीज में इसके लक्षण दिख भी सकते हैं और नहीं भी। लेकिन जैसे-जैसे यह हड्डियों में बढ़ता है, अधिकतर मरीज अंततः लक्षणों का अनुभव करते ही हैं।
दर्द
यह बोन मेटास्टेसेस वाले मरीजों में मौजूद सबसे आम लक्षण है। दर्द तब उभरता है, जब मरीज घूम रहा या आराम कर रहा होता है। अगर, निचले अंगों की हड्डियों में मेटास्टेसेस हैं तो चलने या वजन ढोने पर दर्द होता है। यदि ये रीढ़ की हड्डी में हैं, तो मुड़ने, झुकने आदि पर दर्द होता है। अगर ये सीने या पसलियों में हैं, तो सांस लेने या झुकने पर बहुत ही तेज दर्द होता है।
बोन मेटास्टेसेस की जगह के आधार पर दर्द के भी भिन्न रूप हो सकते हैं। दर्द स्वाभाविक रूप से मंद, तेज या जलने के अनुभव वाला या अगर बोन मेटास्टेसेस के कारण, तंत्रिका ट्रैप हो गई है, तो दर्द खिंचाव लिए हो सकता है।
फ्रैक्चर (अस्थि-भंग)
हड्डी में कैंसर होने पर हड्डी कमजोर हो जाती है, जिसके चलते, विशेषकर अंगों में उसके टूटने का खतरा बढ़ जाता है। फ्रैक्चर छोटा हो सकता है या यह भी हो सकता है कि इसमें कोई आघात न पहुंचे।
तंत्रिका संपीडन (कंप्रेशन) या रीढ़ की हड्डी में संपीडन (कंप्रेशन)
जब मेटास्टेसेस रीढ़ में मौजूद होते हैं, तो रीढ़ में कशेरुक संबंधी विनाश या फ्रैक्चर का खतरा होता है। चूंकि रीढ़ की हड्डी और अन्य तंत्रिकाएं रीढ़ में मौजूद होती हैं, इसलिए, रीढ़ की बनावट में कोई परिवर्तन होने पर इन तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है और लक्षण पैदा हो सकते हैं। कृपया, इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए, रीढ़ की हड्डी (मेरुदंड) के संपीडन वाला खंड देखें।
बढ़ा हुआ कैल्शियम स्तर
जिन मरीजों की हड्डियों में मेटास्टेसेस होता है, उनमें रक्त में कैल्शियम का स्तर बढ़ सकता है, जिसके बदले, कमजोरी, थकान, भ्रम, प्यास और गुर्दे की खराबी जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
जब मेटास्टेसेस का संदेह होता है, तो निम्न परीक्षण किए जा सकते हैं। यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है कि कौन-सी जांच (परीक्षण) की जाए। बोन मेटास्टेसेस को जानने के लिए, एक्स-रे, बोन स्कैन या एमआरआई सबसे अच्छे विकल्प हैं।
रक्त परीक्षण (खून की जांच)
आमतौर पर सीबीपी, किडनी फंक्शन, लिवर फंक्शन टेस्ट, कैल्शियम और बोन प्रोफाइल सहित रक्त परीक्षण किए जाते हैं।
एक्स-रे
मेटास्टेसेस की उपस्थिति को देखने तथा दर्द वाले मरीजों में फ्रैक्चर (अस्थि-भंग) का आकलन करने के लिए, संदिग्ध हड्डियों का एक्स-रे किया जाता है।
सीटी स्कैन
सीटी स्कैन एक प्रकार का स्कैन ही है, जो शरीर के स्कैन किए जाने वाले भाग की त्रि-आयामी छवि बनाने के लिए एक्स-रे का उपयोग करता है। यह कैंसर की पहचान और उसके स्टेज का पता लगाने में, एक एक्स-रे से अधिक उपयुक्त होता है। कंट्रास्ट एन्हांस्ड स्कैन, वह स्कैन है, जिसमें स्कैन करने से पहले, मरीज के नस में एक इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे बेहतर छवियां मिलती हैं। जब पेट (उदर) का स्कैन किया जा रहा होता है, तो मरीज को ओरल कंट्रास्ट पिलाया जाता है। सीटी स्कैन करने में कुछ ही मिनट लगते हैं। जब कुछ बायोप्सी की जाती है, तो इसमें डॉक्टर के मार्गदर्शन के लिए यानी उसे रोग की स्थिति के बारे में, और अधिक जानने में मदद के लिए सीटी स्कैन का भी उपयोग किया जाता है।
एमआरआई स्कैन
एमआरआई स्कैन में, छवियों को बनाने के लिए, चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग किया जाता है तथा कैंसर की पुष्टि और उसके स्टेज को जानने के लिए, बहुत बार इसका उपयोग किया जाता है। कुछ प्रकार के कैंसरों में यह स्कैन किया जाता है। मस्तिष्क, रीढ़ और श्रोणि (पेट के निचले हिस्से) जैसे शारीरिक भागों में, एमआरआई (MRI), सीटी (CT) स्कैन की तुलना में बेहतर छवियां प्रदान करता है। कुछ मरीजों को एमआरआई स्कैन करवाना मुश्किल होता है, क्योंकि स्कैन करते समय, वे क्लॉस्ट्रोफोबिक महसूस करते हैं। एमआरआई स्कैन में 20 मिनट से लेकर 1 घंटे तक का समय लग सकता है। बेहतर छवियों को पाने के लिए, स्कैन के दौरान, मरीज को कंट्रास्ट एजेंट की सुई लगाई जाती है। कैंसर मरीजों में स्कैन को तारतम्यों (सीक्वेंसों) में किया जाता है तथा एक स्कैन में कई सीक्वेंस किए जाते हैं।
एफ18 (F18) बोन स्कैन
यह स्कैन पीईटी-सीटी स्कैन के समान ही होता है, लेकिन इस स्कैन का उद्देश्य हड्डियों में कैंसर की उपस्थिति का पता लगाना होता है। रोग-निर्णय के बाद बोन स्कैन किया जाता है, जिससे कैंसर के स्टेजिंग को रोकने में सहायता मिलती है। F18 बोन स्कैन को हड्डियों में कैंसर का पता लगाने में, टेक्नेटियम बोन स्कैन की तुलना में अधिक संवेदनशील माना जाता है।
टेक्नेटियम99 बोन स्कैन
हड्डियों में कैंसर को जानने के लिए, इस तरह के स्कैन का उपयोग भी किया जाता है। यह स्कैन आमतौर पर, F18 स्कैन की तुलना में सस्ता होता है।
दर्द नियंत्रण
अच्छी दर्द निवारक दवाओं से दर्द को नियंत्रित किया जाता है। इन दवाओं में पैरासेटेमाल के साथ ही एनएसएआईडी (NSAID) दवाएं, जैसे कि इबुप्रोफेन और डिक्लोफेनाक हैं। अगर दर्द बहुत तेज है, तो ओपियोड दवाएं, जैसे कि ट्रामाडोल, बुप्रेनोरफिन, मॉर्फिन, फ़ेंटानील तथा अन्य ओपियोड दवाएं दी जा सकती हैं। कौन-सी दवा का उपयोग करना है, यह दर्द की गंभीरता पर और डॉक्टर द्वारा निर्णित किया जाता है।
रेडियोथेरेपी
दर्द को अच्छी तरह से नियंत्रित करने के लिए, प्रभावित हड्डी की रेडियोथेरेपी की जाती है। इस प्रक्रिया में, आमतौर पर, 70%-80% दर्द नियंत्रण की संभावना होती है। रेडियोथेरेपी का कोर्स आमतौर पर, कुल मिलाकर 1 से 10 बार का होता है। जिस मरीज के रीढ़ में मेटास्टेसेस सीमित अवस्था में है, उनमें रेडियोथेरेपी की नई तकनीकें, जैसे कि स्टीरियोटैक्टिक बॉडी रेडियोथेरेपी (एसबीआरटी) बहुत प्रभावी हो सकती हैं।
सर्जरी
जिन मरीजों की हड्डियों में फ्रैक्चर हो गया है या भविष्य में, फ्रैक्चर होने की बहुत संभावना है, उनमें फ्रैक्चर को ठीक करने में सहायता के लिए, एक विकल्प के रूप में, सर्जरी की जाती है। इससे दर्द नियंत्रण के साथ-साथ, प्रभावित अंग के कार्य को बेहतर करने में मदद मिलती है।
दवाएं
बोन मेटास्टेसेस से पीड़ित मरीजों में, हड्डियों को मजबूत करने और फ्रैक्चर के जोखिम को रोकने में मदद करने के लिए, कुछ दवाएं दी जा सकती हैं। इस सेटिंग में आमतौर पर बिस्फोस्फॉनेट नामक दवाओं के एक समूह का उपयोग किया जाता है। इन्हें आमतौर पर शिराओं के माध्यम से मरीज में चढ़ाया जाता है। उपयोग होने वाली दवाएं पैमीड्रोनेट, जोलेड्रोनेट या जोलेड्रोनिक एसिड हैं। इन्हें हर 3-6 सप्ताह में दिया जा सकता है। कुछ बिसफ़ॉस्फ़ोनेटों को मुंह के माध्यम से दिया जाता है, लेकिन आमतौर पर, इन्हें अंतःशिरा मार्ग से ही दिया जाता है।
ओस्टियोक्लास्ट इनहिबिटर नामक दवाओं के एक अन्य समूह का भी उपयोग किया जाता है। वे बिसफ़ॉस्फ़ोनेट की तुलना में अधिक प्रभावी होती हैं, लेकिन ये अधिक महंगी भी होती हैं। इस समूह की दवाओं में, डेनोसुमैब शामिल है, जिसे एक इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है।
हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करने के लिए, सामान्य या कम कैल्शियम वाले मरीजों में, कैल्शियम और विटामिन डी का उपयोग किया जाता है।