गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर (GIST)

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर (GIST)

जठर-आंत्रीय पीठिका अर्बुद यानि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर या जीआईएसटी ट्यूमर वे कैंसर होते हैं जो पाचन पथ या तंत्र में होते हैं। पाचन तंत्र के सबसे आम हिस्से जहां ये दिखाई पड़ते हैं, वे पेट और छोटी आंत हैं, लेकिन वे पथ के किसी भी हिस्से में हो सकते हैं। ये एक प्रकार के सार्कोमा हैं, लेकिन उनका उपचार एक नरम ऊतक सार्कोमा से भिन्न होता है और इसलिए इस पर अलग से चर्चा की गई है। इस प्रकार के कैंसर आमतौर पर विरले होते हैं और पाचन तंत्र के सभी कैंसरों का लगभग 1% हिस्सा होते हैं। जीआईएसटी ट्यूमर सुदम्‍य (बिनाइन) या दुर्दम्‍य (मैलिग्नेंट) हो सकता है। ये आम तौर पर उद्गम स्थल के आसपास बढ़ते हैं लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकते हैं।

आयु

जीआईएसटी (GIST) 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में आम है लेकिन किसी भी उम्र में हो सकता है।

पारिवारिक जीआईएसटी

सभी जीआईएसटी ट्यूमरों का लगभग 5% परिवार में आनुवंशिक संपर्क के कारण होता है। जिन स्थितियों से यह होता है उनमें पारिवारिक जीआईएसटी संलक्षण, न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 1 और कार्नी-स्ट्रैटाकिस लक्षण शामिल हैं।

जीआईएसटी ट्यूमर द्वारा उत्पन्न सामान्य लक्षणों में पेट में दर्द, मतली, उल्टी, वजन में कमी, खून की उल्टी, पेट में भरेपन की अनुभूति, मल में खून आना या थकान महसूस होना शामिल है।

जीआईएसटी का निदान आमतौर पर संयोगवश हो जाता है जब उपरोक्त लक्षणों के लिए परीक्षण किए जाते हैं। जीआईएसटी के निदान के लिए किए गए कुछ परीक्षणों में शामिल हैं:

एंडोस्कोपी

एंडोस्कोपी एक परीक्षण है जिसमें असामान्यताओं को देखने के लिए ग्रासनली (ईसोफेगस) और पेट से एक पतली ट्यूब गुजारी जाती है। ट्यूब के छोर में एक कैमरा होता है, ताकि प्रक्रिया करने वाले डॉक्टर ग्रासनली (ईसोफेगस) और पेट के अंदर सब कुछ देख सकें। परीक्षण हल्के शामक का उपयोग करके किया जाता है और दर्द रहित होता है। मरीज को प्रक्रिया से पहले 6-8 घंटे की अवधि के लिए कुछ नहीं खाना चाहिए।

यह एक दिन की प्रक्रिया है, इसलिए अस्पताल में रात भर रहने की आवश्यकता नहीं है। यदि डॉक्टर को एंडोस्कोपी पर कोई असामान्य क्षेत्र दिखाई देता है, तो उसी समय बायोप्सी की जा सकती है। यदि एंडोस्कोपी करने पर जीआईएसटी का संदेह उत्‍पन्‍न होता है, तो बायोप्सी की जा सकती है।

सीटी स्‍कैन

जीआईएसटी का निदान एंडोस्कोपी पर किये जाने पर सीटी या कंप्यूटेड टोमोग्राफिक स्कैन किया जाता है, या बिना एंडोस्कोपी के सीधे किया जाता है। सीटी स्कैन शरीर के अंदर की विस्तृत छवियों को प्राप्त करने के लिए एक्स-रे का उपयोग करता है।
इसलिए, यह इस बारे में जानकारी दे सकता है कि कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल गया है या नहीं।

पीईटी स्‍कैन या पीईटी-सीटी स्‍कैन

पीईटी-सीटी स्कैन एक विशेषीकृत सीटी स्कैन है जहां सीटी स्कैन से पहले रेडियोधर्मी अनुज्ञापक (ट्रैसर) को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। यह अनुज्ञापक शरीर के उन क्षेत्रों में जमा होता है जहां ग्लूकोज की उच्च आवश्यकता होती है। चूंकि कैंसर को जीवित रहने के लिए बहुत अधिक ग्लूकोज की आवश्यकता होती है, वे शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में बहुत अधिक अनुज्ञापक (ट्रैसर) लेते हैं। तब कैंसर को स्कैन पर आसानी से देखा जा सकता है। पीईटी-सीटी स्कैन कैंसर के फैलाव के साक्ष्य के लिए मानक सीटी स्कैन की तुलना में अधिक संवेदनशील है। उपचार से पहले जीआईएसटी के स्‍टेज निर्धारण में यह एक बहुत महत्वपूर्ण परीक्षण है।

एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (EUS)

एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड एक परीक्षण है जो एंडोस्कोपी की तरह है लेकिन इसके छोर में एक अल्ट्रासाउंड स्कैनर लगा होता है। यह परीक्षण कैंसर को देखने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है और जीआईएसटी के निदान में मदद कर सकता है। स्कैनर कैंसर के आसपास मौजूद किसी भी बढ़े हुए लसीका पर्वों (लिम्फ नोड्स) को देखने में मदद करता है। परीक्षण का उपयोग कैंसर के एक सटीक स्‍टेज को प्राप्त करने में सहायता के लिए किया जाता है और किसी भी असामान्य गांठ या नोड्स की बायोप्सी करने के लिए भी किया जाता है।

बायोप्‍सी

विशेष रूप से उन्नत कैंसर में स्थिति के निदान की पुष्टि करने के लिए संदिग्ध जीआईएसटी की बायोप्सी की जाती है। बायोप्सी एंडोस्कोपी या अल्ट्रासाउंड या सीटी या अन्य तरीकों की सहायता से की जाती है।

कुछ विशिष्ट परीक्षण हैं जो जीआईएसटी का एक निश्चित निदान प्राप्त करने के लिए बायोप्सी नमूने पर किए जाते हैं। ये परीक्षण उपचार की निर्णय प्रक्रिया में भी सहायता करते हैं। निम्नलिखित परीक्षण किए जाते हैं।

सभी संदिग्ध जीआईएसटी मरीजों पर आईएचसी द्वारा CD 117 या C-KIT उत्परिवर्तन के लिए परीक्षण किया जाता है। यह परीक्षण KIT प्रोटीन में उत्परिवर्तन का पता लगाता है। अधिकांश जीआईएसटी ट्यूमर CD117 पॉजिटिव होंगे।

पीडीजीएफआरए (PDGFRA) जीन में उत्परिवर्तन के लिए भी परीक्षण किया जाएगा। जो ट्यूमर KIT निगेटिव हैं, वे पीडीजीएफआरए पॉजिटिव हो सकते हैं।

उन्नत जीआईएसटी वाले मरीजों के लिए एक्सॉन 11 और 9 पर उत्परिवर्तन देखने के लिए आणविक परीक्षण की सिफारिश की जाती हैं क्योंकि यह सबसे उपयुक्त उपचार का निर्णय लेने में सहायक होगा।

जीआईएसटी ट्यूमर के लिए उपचार के विकल्प शरीर में रोग के स्‍थान और मात्रा, KIT और पीडीजीएफआरए उत्‍परिवर्तन की स्थिति और मरीज की सामान्य फिटनेस और इच्छाओं पर निर्भर करते हैं।

सर्जरी (शल्‍य-क्रिया)

ट्यूमर की सर्जरी या शल्य-क्रिया निष्कासन ऐसे जीआईएसटी ट्यूमरों के लिए उपचार का एक विकल्प है जो सुरक्षित रूप से हटाने योग्य हो सकते हैं। कुछ छोटे ट्यूमर, जिनका आकार 2 सेमी से कम है, उन्हें सर्जरी की आवश्यकता के बिना बारीकी से देखा जा सकता है। हालांकि, इन विकल्पों पर डॉक्टर के साथ चर्चा की जानी चाहिए।

सर्जरी में द्रव्यमान या ट्यूमर के साथ-साथ उसके चारों ओर विद्यमान सामान्य ऊतक या अंग के हिस्से को निकालना शामिल है ताकि उसके निकालने की पूर्णता सुनिश्चित की जा सके। जब तक कैंसर बड़े नहीं होते हैं तब तक स्थानीय लिम्फ नोड्स को नहीं हटाया जाता है। सर्जरी ट्यूमर के स्थान के आधार पर ओपन सर्जरी या लैप्रोस्कोपिक रूप से की जा सकती है।

ऐसे रोग के लिए जो उन्नत या व्यापक है या महत्वपूर्ण संरचनाओं पर आक्रमण कर रहा है, पहले ट्यूमर के आकार को कम करने किए इमैटिनिब (नियो एडजुवेंट थेरेपी) दी जाती है और उसके बाद सर्जरी की जाती है।

एडजुवेंट थेरेपी

एडजुवेंट उपचार में बेहतर नियंत्रण या इलाज की संभावना को बढ़ाने के लिए किए गए एक निश्चित उपचार में एक अन्य उपचार को शामिल करना शामिल है। जिन मरीजों में जीआईएसटी ट्यूमर को सर्जरी से निकाला गया है और ट्यूमर की विशेषताओं से पता चलता है कि यह एक उच्च जोखिम वाला है, तीन साल के लिए इमैटिनिब के साथ एडजुवेंट उपचार की सलाह दी जाती है। यह ट्यूमर के बेहतर नियंत्रण को प्राप्त करने में मदद करता है। उच्च जोखिम वाले ट्यूमर वे होते हैं जो आकार में 5 सेमी से अधिक होते हैं, जो सर्जरी द्वारा अपूर्ण रूप से हटा दिए जाते हैं और जो सर्जरी में फूट गए हैं, उनमें एक उच्च माइटोटिक दर होती है, पेट के अलावा किसी अन्य स्थान पर ट्यूमर आदि।

उन्‍नत या मेटास्‍टैटिक रोग

ऐसे मरीजों में जहां जीआईएसटी ट्यूमर या कैंसर स्थानीय रूप से अपनी उत्पत्ति के स्थान पर उन्नत है या अपनी उत्पत्ति के स्थान से शरीर के अन्य भागों में फैल गया है और KIT या पीडीजीएफआरए पॉजिटिव हैं, का इलाज इमैटिनिब नामक दवा से किया जाता है। इमैटिनिब एक लक्षित थेरेपी दवा है जिसे टाइरोसिन किनेज इन्‍हिबिटर कहा जाता है और यह जीआईएसटी ट्यूमर को नियंत्रित करने में काफी प्रभावी है। इसे दैनिक रूप से ली जाने वाली गोली के रूप में दिया जाता है और आमतौर पर इसे बहुत अच्छी तरह से सहन किया जाता है। संभावित दुष्प्रभावों में वजन बढ़ना, चेहरे और पैरों में सूजन, मतली, पेट में दर्द और निम्‍न ब्‍लड काउंट शामिल है। उपचार के दौरान, अनुक्रिया का मूल्यांकन करने के लिए क्रमिक सीटी या पीईटी-सीटी स्कैन से रोग की निगरानी की जा सकती है। उपचार तब तक जारी रखा जाता है जब तक यह प्रभावी है और मरीज इसे अच्छी तरह से सहन करने में सक्षम है। इमैटिनिब की खुराक को साइड इफेक्ट्स की सीमा के आधार पर समायोजित किया जा सकता है।

रोग जो इमैटिनिब के लिए प्रतिरोधी है या शुरू में इमैटिनिब पर अनुक्रिया दिखाने के बाद बढ़ता है, उसका सुनीटिनिब या रेगोरॅफेनिब जैसे अन्य टाइरोसिन किनेज इन्‍हिबिटरों से इलाज किया जाता है।