Germ cell tumours

जनन कोशिकाओं के ट्यूमर

जनन कोशिकाएं या जर्म कोशिकाएं पुरुषों में शुक्राणु और महिलाओं में अंडे के विकास के लिए जिम्मेदार होती हैं। इन कोशिकाओं से विकसित होने वाले ट्यूमर या कैंसर को जनन कोशिकाओं के ट्यूमर के नाम से जाना जाता है।

जनन कोशिकाओं के ट्यूमर के प्रकार

जनन कोशिकाओं के ट्यूमर कई प्रकार के हो सकते हैं, इनमें से कुछ प्रमुख ट्यूमर निम्न हैं।

वृषण के ट्यूमर (पुरुषों में)

  • – सेमिनोमा
  • – टेराटोमा

अंडाशय के ट्यूमर (महिलाओं में)

  • – टेराटोमा
  • – डिसजर्मिनोमा
  • – मिश्रित ट्यूमर

अन्य

  • – मीडियास्टिनल जनन कोशिकाओं का ट्यूमर (छाती में)
  • – मस्तिष्क का जनन कोशिकाओं का ट्यूमर

वृषण में होने वाले जनन कोशिकाओं के ट्यूमर के लिए वृषण के ट्यूमर्स से संबंधित सेक्शन देखें। अन्य प्रकारों के लिए नीचे देखें। महिलाओं में, जनन कोशिकाओं के ट्यूमर युवावस्था में, 15-30 साल की उम्र में देखे जाते हैं। परिपक्व टेराटोमा, एक प्रकार का बिनाइन ट्यूमर है और इस प्रकार के ट्यूमर्स में सबसे आम है।

अंडाशय के जनन कोशिकाओं के ट्यूमर्स

अंडाशय के जनन कोशिकाओं के ट्यूमर्स को बिनाइन और मलिग्नैंट ट्यूमर्स में वर्गीकृत किया जाता है। परिपक्व टेराटोमा, अंडाशय का बिनाइन ट्यूमर होता है।

मलिग्नैंट ट्यूमर्स में अपरिपक्व टेराटोमा, डिसजर्मिनोमा, योक सैक ट्यूमर, कोरियोकार्सिनोमा और भ्रूणीय कार्सिनोमा शामिल हैं।

जनन कोशिकाओं के ट्यूमर्स के कारण पैदा होने वाले सामान्य लक्षणों में पेट में सूजन आना और दर्द होना, माहवारी अनियमित हो जाना, पेट फूलना इत्यादि शामिल हैं।

यदि वृषण के कैंसर की आशंका है तो निम्न जांचें की जाती हैं।

पेट का अल्ट्रासाउंड स्कैन

पेट का अल्ट्रासाउंड स्कैन, पेट की सूजन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करता है, इसके अलावा इससे यह भी पता चलता है कि अंडाशय का आकार सामान्य है या ट्यूमर के कारण इसमें बढ़ोत्तरी हो गई है।

रक्त की जांच (ब्लड टेस्ट)

रक्त में ट्यूमर्स मार्कर्स की उपस्थिति का पता लगाकर कैंसर का निदान किया जा सकता है। कुछ विशेष प्रकार के जनन कोशिकाओं के ट्यूमर्स में ट्यूमर मार्कर्स बढ़ जाते हैं, यही कारण है कि इस प्रकार के कैंसर की आशंका होने पर ये टेस्ट जरूर किए जाते हैं। आम तौर पर मापे जाने वाले ट्यूमर मार्कर्स में अल्फा-फीटो प्रोटीन (AFP), बी (B) ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (b HCG) और एलडीएच (LDH) शामिल हैं। ट्यूमर मार्कर्स के अलावा, लीवर और किडनी की कार्यप्रणाली की जांच के लिए कुछ सामान्य ब्लड टेस्ट भी किए जाते हैं।

स्टेजिंग एक नैदानिक प्रक्रिया है जिससे कैंसर के अपने उत्पति के स्थान से शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलने का पता लगाया जाता है।

छाती का एक्स-रे

कैंसर छाती में फैला है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए छाती का एक्स-रे किया जाता है।

सीटी स्कैन

अंडाशय के जनन कोशिकाओं के ट्यूमर की आशंका वाले मरीजों में ट्यूमर की स्टेज का निर्धारण करने के लिए कॉन्ट्रास्ट के साथ छाती, पेट और पेल्विस का सीटी स्कैन किया जाता है। इस स्कैन से यह पता चलता है कि कैंसर का शरीर के दूसरे हिस्सों तक प्रसार हुआ है या नहीं, और बाद में इसी आधार पर उपचार का निर्धारण किया जाता है।

पीईटी सीटी स्कैन

आमतौर पर जनन कोशिकाओं के ट्यूमर की प्रारंभिक स्टेज में पीईटी सीटी स्कैन करवाने की सलाह नहीं दी जाती है, लेकिन शरीर के अन्य भागों में कैंसर फैलने की आशंका होने पर यह स्कैन बहुत उपयोगी होता है।

शरीर में ट्यूमर या कैंसर की लोकेशन के आधार पर इन्हें स्टेज-1 से स्टेज-4 तक, चार स्टेजों में वर्गीकृत किया जाता है।

स्टेज-1

इस स्टेज में ट्यूमर केवल अंडाशय तक सीमित होता है, यह एक या दोनों अंडाशय में मौजूद हो सकता है।

स्टेज-2

स्टेज-2 में, ट्यूमर अंडाशय के नजदीकी अंगों, जैसे कि फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय या पेल्विस (पेट का निचला हिस्सा) के अन्य भागों में फैल जाता है।

स्टेज-3

स्टेज-3 में ट्यूमर पेट के अन्य सभी हिस्सों जैसे कि पेरिटोनियम और लसिका ग्रंथियों में फैल जाता है, पेट के सभी अंगों की लाइनिंग को पेरिटोनियम के नाम से जाना जाता है।

स्टेज-4

स्टेज-4 में कैंसर शरीर के अन्य भागों, जैसे कि फेफड़ों और लीवर तक फैल जाता है।

अंडाशय के जनन कोशिकाओं के ट्यूमर्स का उपचार मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि ट्यूमर बिनाइन है या मैलिग्नैंट, यदि ट्यूमर मैलिग्नैंट है तो निदान के समय इसकी स्टेज का निर्धारण किया जाता है।

इस पद्धति में प्रभावित अंडाशयों (एक या दोनों) को सर्जरी या शल्य चिकित्सा के माध्यम से हटा दिया जाता है। यदि महिला की उम्र कम है और वह भविष्य में गर्भधारण करना चाहती है, तो संभव होने पर केवल एक अंडाशय हटाया जाता है। जिन महिलाओं को भविष्य में बच्चे पैदा नहीं करने होते हैं, उनके मामले में अंडाशय के साथ-साथ गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब को भी हटा दिया जाता है। यदि मरीज बीमारी की उच्च स्टेज में है तो कैंसर से प्रभावित अन्य आस-पास के भागों जैसे कि लसिका ग्रंथियों और पेरिटोनियम इत्यादि को भी शल्य चिकित्सा के माध्यम से हटा दिया जाता है। यदि मरीज स्टेज-2 या स्टेज-3 में है, तो भी शल्य चिकित्सा का उद्देश्य सभी ट्यूमर हटा देना होता है।

अंडाशय के जनन कोशिकाओं के मैलिग्नैंट ट्यूमर्स के अधिकतर मामलों में मरीज के उपचार के लिए कीमोथेरेपी का सहारा लिया जाता है। केवल प्रारंभिक स्टेज-1 ट्यूमर के मरीजों को ही इस उपचार पद्धति से लाभ नहीं मिलता है। कीमोथेरेपी का उद्देश्य बीमारी का उपचार करना और इसे नियंत्रित करना होता है। कैंसर के प्रकार और निदान में निर्धारित हुई इसकी स्टेज के आधार पर कीमोथेरेपी की आवश्यकता और इसमें इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं का निर्धारण किया जाता है।

डिसजर्मिनोमा

डिसजर्मिनोमा के उपचार के लिए कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। इस उपचार में कॉर्बोप्लाटिन दवा के साथ ही ईपी या बीईपी रेज़िमेंस काम में लिया जाता है। बीईपी रेज़िमेन में ब्लियोमायसिन, इटोपोसाइड और सिसप्लाटिन जैसी दवाएं शामिल होती हैं। दवाओं का निर्धारण कैंसर की स्टेजिंग, मरीज के स्वास्थ्य और उसकी पसंद के आधार पर किया जाता है। प्रारंभिक स्टेज वाले ट्यूमर्स में कीमोथेरेपी, शल्य चिकित्सा के बाद की जाती है वहीं उन्नत स्टेज वाले ट्यूमर्स में प्रथम उपचार के रूप में कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। ईपी या बीईपी कीमोथेरेपी चक्रों में दी जाती है, हर चक्र 3 हफ्तों के बाद दिया जाता है। इन 3 हफ्तों के समय में, चुने गए रेज़िमेन के अनुसार 3 से 5 दिनों तक उपचार दिया जाता है।

गैर-डिसजर्मिनोमा कैंसर

डिसजर्मिनोमा के अलावा अपरिपक्व टेराटोमा, योक सैक ट्यूमर, भ्रूणीय कार्सिनोमा और मिश्रित जनन कोशिका ट्यूमर्स अन्य प्रकार के कैंसर हैं। इन ट्यूमर्स का उपचार निदान के समय निर्धारित की गई कैंसर की स्टेज के आधार पर किया जाता है। प्रारंभिक स्टेज वाले ट्यूमर्स में केवल शल्य चिकित्सा से उपचार किया जाता है और कीमोथेरेपी की आवश्यकता नहीं पड़ती है, जबकि अधिक उन्नत स्टेज वाले ट्यूमर्स में कीमोथेरेपी लाभदायक होती है। यहाँ आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली कीमोथेरेपी विकल्प बीईपी है जैसा कि ऊपर वर्णित है। आमतौर पर इसके चार चक्र दिए जाते हैं।

मीडियास्टिनल के जनन कोशिकाओं के ट्यूमर

मीडियास्टिनम, हमारे शरीर का एक भाग होता है जो छाती में फेफड़ों के बीच में पाया जाता है। मीडियास्टिनम में छाती, ओएसोफैगस (गला) और लिम्फ नोड में रक्त आपूर्ति करने वाली मुख्य रक्त वाहिकाएं पाई जाती हैं। इस क्षेत्र में विकसित होने वाले जनन कोशिकाओं के ट्यूमर्स को मीडियास्टिनम के जनन कोशिकाओं के ट्यूमर के नाम से जाना जाता है।

मीडियास्टिनम के जनन कोशिकाओं के ट्यूमर, वृषण और अंडाशय में पाए जाने वाले ट्यूमर्स के जैसे ही दिखाई देते हैं। जब भी मीडियास्टिनम के जनन कोशिकाओं के ट्यूमर की आशंका होती है तो विभिन्न टेस्ट और स्कैन के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि यह ट्यूमर मीडियास्टिनम तक ही सीमित है या फिर वृषण और अंडाशयों में भी मौजूद है या वहां तक प्रसारित हो गया है।

मीडियास्टिनम के इन ट्यूमर्स में खांसी, छाती में दर्द, छाती में भारीपन, वजन घटने, सांस लेने में तकलीफ और निगलने में तकलीफ जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

मीडियास्टिनम के जनन कोशिकाओं के ट्यूमर की आशंका होने पर, बीमारी के निदान और इसकी अवस्था के आकलन के लिए निम्न टेस्ट किए जाते हैं।

कंप्लीट ब्लड पिक्चर सहित ब्लड टेस्ट, किडनी और लीवर फंक्शन टेस्ट, एलडीएच, अल्फा फीटो प्रोटीन (AFP) और बीटा एचसीजी इत्यादि। इसके अलावा छाती का एक्सरे, छाती, पेट या पेल्विस का सीटी स्कैन या फिर पूरे शरीर के पीईटी-सीटी स्कैन जैसे टेस्ट किए जा सकते हैं।

मीडियास्टिनल के जनन कोशिकाओं के ट्यूमर के उपचार का तरीका इस बात पर निर्भर करता है कि ये ट्यूमर सेमिनोमा (पुरुषों में सेमिनोमा और महिलाओं में डिसजर्मिनोमा) प्रकार के हैं या फिर किसी अन्य प्रकार के हैं।

मीडियास्टिनल सेमिनोमा या डिसजर्मिनोमा, मुख्य तौर पर 20-40 साल के उम्र वर्ग के लोगों में अधिक पाए जाते हैं, इनका उपचार बीईपी रेज़िमेन से संयोजन कीमोथेरेपी द्वारा किया जाता है। बीईपी, ब्लियोमाइसिन, इटोपोसाइड और सिसप्लाटिन नामक दवाओं का संयोजन होता है। इसे हर तीन हफ्तों के बाद ड्रिप के रूप में लगाया जाता है और इस प्रकार के चार चक्र पूरे किए जाते हैं। हर चक्र में, उपचार में 5 दिनों का समय लगता है। कुछ मरीजों में ब्लियोमाइसिन का उपयोग नहीं किया जाता है और ईपी कीमोथेरेपी दी जाती है।

जिन मरीजों में कीमोथेरेपी नहीं की जा सकती है, उनमें रेडियोथेरेपी का सहारा लिया जाता है, हालांकि इस विकल्प का इस्तेमाल बहुत कम किया जाता है। यदि रेडियोथेरेपी दी जाती है तो इसे 5 सप्ताह में पूरा कर लिया जाता है।

इन प्रकार के ट्यूमर्स के उपचार के लिए शल्य चिकित्सा का बहुत कम इस्तेमाल होता है।

परिपक्व टेराटोमा, जो एक प्रकार के बिनाइन ट्यूमर होते हैं, शल्य चिकित्सा द्वारा हटाए जाते हैं।

अपरिपक्व टेराटोमा को मलिग्नैंट ट्यूमर्स या कैंसर माना जाता है, इनके उपचार के लिए कीमोथेरेपी और शल्य चिकित्सा, दोनों का सहारा लिया जाता है, कीमोथेरेपी, शल्य चिकित्सा के बाद में या पहले दी जाती है।

इसके अलावा जनन कोशिकाओं के मिश्रित ट्यूमर्स, योक सैक और भ्रूणीय कार्सिनोमा जैसे अन्य मीडियास्टिनल जनन कोशिकाओं के ट्यूमर्स का उपचार कीमोथेरेपी द्वारा किया जाता है। इसके लिए उपर बताए अनुसार बीईपी रेज़िमेंस का उपयोग किया जाता है, या फिर वीआईपी जिसमें सिस्प्लाटिन, इटोपोसाइड और इफोस्फामाइड का मिश्रण होता है, का उपयोग किया जाता है।