Penile Cancer

पेनिस का कैंसर

पेनाइल (शिश्न) कैंसर

पुरुषों के प्रजनन अंग को पेनिस कहते हैं (इसे पुरुष गुप्तांग, शिश्न या लिंग भी कहते हैं)। पेनिस में होने वाले कैंसर को पेनाइल कैंसर भी कहा जाता है। पेनाइल कैंसर आम तौर पर बड़ी उम्र वाले पुरुषों में होता है। यह पेनिस के किसी भी हिस्से में शुरू हो सकता है लेकिन यह पेनिस हेड (शिश्न मुंड) की भीतरी स्किन पर ज्यादा सामान्य है।

ग्लोबोकेन 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस कैंसर के 9938 मामले पाए गए, जो डायग्नोस हुए सभी कैंसर का लगभग 1% हिस्सा है।

पेनाइल कैंसर का सबसे सामान्य प्रकार स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा है। अन्य प्रकारों में पैपिलरी कार्सिनोमा, बेसलॉइड कार्सिनोमा, वेरुकॉस कार्सिनोमा और दुर्लभ सार्कोमा जैसे कार्सिनोमा शामिल हैं।

पेनाइल (शिश्न) से जुड़े जोखिम कारक नीचे दिए जा रहे हैं।

उम्र

50 साल से अधिक उम्र वाले पुरुषों में पेनाइल कैंसर ज्यादा सामान्य है, विशेष रूप से 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग पुरुषों में।

एचपीवी संक्रमण

एचपीवी यानी ह्यूमन पेपिलोमा वायरस एक ऐसा संक्रमण है जो यौन संपर्क से फैलता है। इस संक्रमण में कोई लक्षण नहीं दिखता, और जिन लोगों को अपने जीवनकाल में कभी भी एचपीवी संक्रमण हुआ है, उनमें पेनाइल कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

इम्यूनिटी कमजोर होना

जिन लोगों में अंग प्रत्यारोपण या एचआईवी और एड्स जैसे संक्रमणों के बाद दवाओं के चलते इम्यूनिटी का स्तर कम हो जाता है, उनमें पेनाइल कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

अन्य

ऐसे लोग जो अविवाहित हैं और जिनका खतना नहीं हुआ है, उन्हें पेनाइल कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है। सोरायसिस रोग से ग्रस्त उन लोगों में भी पेनाइल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है जिनका सोरालेन या यूवीए ट्रीटमेंट हुआ है।

पेनिस के कैंसर में ऐसे लक्षण पनप सकते हैं जो मरीज को उनके रोग के बारे में सचेत कर सकता है। इन लक्षणों में शामिल है:

गाँठ या अल्सर

पेनिस पर एक सख्त गाँठ, अल्सर या फोड़ा विकसित हो सकता है। इसे पेनिस की त्वचा के ऊपरी या भीतरी हिस्से पर देखा जा सकता है। इस गाँठ में दर्द हो भी सकता है और नहीं भी, और समय के साथ इसका आकार बढ़ भी सकता है।

ब्लीडिंग या डिस्चार्ज

पेनिस से या फोरस्किन (शिश्नमुंडच्छद) के भीतरी हिस्से से ब्लीडिंग होना पेनिस के कैंसर का लक्षण हो सकता है। इस रोग से ग्रस्त कुछ लोगों में बदबूदार डिस्चार्ज भी हो सकता है।

फोरस्किन को खिसकाने में असमर्थता

पहले की तरह पेनिस पर बिना किसी दिक्कत के फोरस्किन को खिसकाने में असमर्थ होना भी पेनिस के कैंसर का संकेत हो सकता है।

अन्य लक्षण

पेनिस कैंसर के एडवांस स्टेज वाले मरीजों में देखे जाने वाले अन्य लक्षणों में शामिल है – किसी एक या दोनों ग्रॉइन रीज़न (यानी पेट और जांघ के बीच का भाग) में सूजन या गाँठ होना, थकान महसूस होना, पैर में सूजन, वज़न कम होना और भूख न लगना।

जब पेनिस में कैंसर का संदेह होता है, तो रोग के डायग्नोसिस और स्टेज की पुष्टि करने के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं।

बायोप्सी

पेनिस पर देखे गए गाँठ या उभार के लिए बायोप्सी की जाती है ताकि कैंसर के डायग्नोसिस की पुष्टि की जा सके। साथ ही, ग्रॉइन (यानी पेट और जांघ के बीच के भाग) में किसी संदिग्ध लिम्फ नोड का पता लगाने के लिए, इन नोड पर नीडल एस्पिरेशन (एफ़एनएसी) किया जाता है ताकि कैंसर के फैलाव को देखा जा सके।

सीटी स्कैन

कैंसर के फैलाव और इसके स्टेज का पता लगाने के लिए चेस्ट ऐब्डोमन (वक्ष उदर) और पेल्विस (श्रोणि) का सीटी स्कैन किया जाता है। इस स्कैन द्वारा शरीर के अन्य हिस्सों में कैंसर के फैलाव का पता लगाया जाता है।

एमआरआई स्कैन

संदिग्ध कैंसर और बढ़े हुए लिम्फ नोड के साथ ही कैंसर के स्टेज का पता लगाने के लिए एमआरआई स्कैन किया जाता है। आमतौर पर स्टेज का पता लगाने के लिए या तो सीटी स्कैन या एमआरआई स्कैन पर्याप्त होता है लेकिन कुछ स्थितियों में कभी-कभार दोनों स्कैन करने की जरूरत होती है।

पीईटी सीटी स्कैन

कैंसर के स्टेज का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन के बजाय पीईटी सीटी स्कैन किया जाता है। पेनिस के बाहर कैंसर के फैलाव वाली जगहों का पता लगाने में पीईटी-सीटी स्कैन ज्यादा असरदार हो सकता है।

सेंटिनल नोड बायोप्सी

सेंटिनल नोड वह पहला नोड है जहाँ कैंसर का फैलाव हो सकता है। अगर सेंटिनल नोड में कैंसर नहीं है, तो अन्य लिम्फ नोड में कैंसर होने की संभावना आगे कम होती है।

एक सेंटिनल नोड को आमतौर पर पेनिस में ट्यूमर के आसपास की जगह में रेडियोधर्मी पदार्थ या ब्लू डाई की छोटी डोज़ का इंजेक्शन लगाने के बाद ग्रॉइन (यानी पेट और जांघ के बीच के भाग) में देखा जा सकता है। इस डाई को पहले लिम्फ नोड द्वारा लिया जाता है जहाँ डाई का फैलाव होता है। इन पदार्थों से सर्जन को सर्जरी के दौरान नोड का पता लगाने में मदद मिलती है।
सेंटिनल नोड बायोप्सी को उसी समय या सर्जरी से पहले किया जाता है।

फिर, कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने के लिए माइक्रोस्कोप द्वारा इन निकाले गए नोड की जाँच की जाती है। अगर कैंसर कोशिकाएँ मौजूद नहीं हैं तो नोड निकालने के लिए आगे सर्जरी करने जरूरत नहीं होती। हालाँकि, अगर कैंसर कोशिकाएँ पाई जाती हैं तो सर्जन उस जगह के अन्य सभी लिम्फ नोड को निकालने का फैसला कर सकता है।

टीएनएम या नंबर स्टेजिंग सिस्टम के अनुसार पेनाइल कैंसर के स्टेज का निर्धारण किया जाता है।
कैंसर का स्टेज वह शब्द है जिसका उपयोग शरीर में कैंसर के आकार और स्थान का वर्णन करने के लिए किया जाता है।
कैंसर के स्टेज के बारे में जानने से डॉक्टरों को इसका सबसे उपयुक्त उपचार तय करने में मदद मिलती है। पेनाइल कैंसर के स्टेज का निर्धारण टीएनएम स्टेजिंग सिस्टम या नंबर सिस्टम के आधार पर किया जाता है।
इन दोनों में से किसी भी सिस्टम द्वारा स्टेज का निर्धारण इन बातों से तय होता है कि पेनिस में ट्यूमर का फैलाव किस हद तक है, लिम्फ नोड में कैंसर का फैलाव कहाँ तक है और शरीर के अन्य भागों में कैंसर कहाँ तक फैला है। टीएनएम का आशय ट्यूमर, नोड और मेटास्टेसिस से है। टी का अर्थ ट्यूमर है। एन का आशय नोड और उन नोड में कैंसर के फैलाव से है। एम का आशय मेटास्टेसिस और शरीर में दूरवर्ती जगहों पर कैंसर के फैलाव से है।

टीएनएम स्टेजिंग

टी स्टेज

टी1 ट्यूमर की जगह त्वचा के ठीक भीतरी हिस्से में हैं।
टी2 ट्यूमर में कॉर्पस स्पोंजिओसम शामिल है जो पेनिस में सॉफ्ट इरेक्टाइल टिश्यू होता है, और इसमें मूत्रमार्ग (यूरेथ्रा) शामिल हो भी सकता है और नहीं भी।
टी3 ट्यूमर में कॉर्पोरा कैवर्नोसम शामिल है, और इसमें मूत्रमार्ग (यूरेथ्रा) शामिल हो भी सकता है और नहीं भी।
टी4 ट्यूमर नजदीकी अंगों जैसे कि प्रोस्टेट ग्रंथि, अंडकोष या जघन हड्डी (प्यूबिक बोन) में बढ़ता है।

एन स्टेज

एन0 इसमें लिम्फ नोड शामिल नहीं होता है
एन1 इसमें ग्रॉइन(इंगुइनल) के एक लिम्फ नोड में कैंसर का फैलाव होता है
एन2 इसमें ग्रॉइन के कई लिम्फ नोड में फैलाव होता है
एन3 इसमें पेल्विस के लिम्फ नोड में या लिम्फ नोड के आसपास के टिश्यू में कैंसर का फैलाव होता है

एम स्टेज

एम0 इसमें अन्य अंगों या टिश्यू में कैंसर का कोई फैलाव नहीं होता है
एम1 इसमें पेल्विस से बाहर के क्षेत्रों में कैंसर का फैलाव होता है

नंबर स्टेजिंग

स्टेज 1 टी1 एन0 एम0
स्टेज 2 टी1बी एन0 एम0
टी2 एन0 एम0
टी3 एन0 एम0
स्टेज 3a टी1-3 एन1 एम0
स्टेज 3b टी1-3 एन2 एम0
स्टेज 4 टी4 कोई भी एन एम0
कोई भी टी एन3 एम0
कोई भी टी कोई भी एन एम1

पेनाइल कैंसर के उपचार विकल्पों में निम्न शामिल हैं- ट्यूमर निकालने के लिए सर्जरी करना, रेडियोथेरपी और कीमोथेरपी। उपचार विकल्प का चुनाव इस बात पर निर्भर करेगा कि डायग्नोसिस के समय कैंसर का स्थान और स्टेज क्या है, और मरीज की फ़िटनेस कैसी है।

सर्जरी

इस प्रकार के कैंसर को नियंत्रित करने के लिए सर्जरी मुख्य उपचार में से एक है। किस प्रकार की सर्जरी की जाए, इस बात पर निर्भर करेगा कि पेनिस पर कैंसर कहाँ है और इसका फैलाव कितना है। किसी भी सर्जरी का उद्देश्य पेनिस पर कैंसर वाली जगह के साथ-साथ उसके आसपास के नॉर्मल मार्जिन को निकालना होगा। इसके आसपास के नॉर्मल मार्जिन को निकालने से ऑपरेशन की पूर्णता सुनिश्चित होगी। ऑपरेशन के विभिन्न प्रकार निम्न हैं:

ग्लान्सेक्टॉमी

इस ऑपरेशन में ग्लान्स पेनिस (लिंगमुंड) को हटा दिया जाता है। यह ऑपरेशन तभी किया जाता है अगर पेनिस के सामने वाले छोर (फ्रंट एंड) पर कैंसर मौजूद है। ग्लान्स हटा दिए जाने के बाद, शरीर के किसी अन्य हिस्से की त्वचा या मांसपेशी को निकालकर ग्लान्स वाली जगह पर प्रत्यारोपित किया जाता है ताकि पेनिस को फिर से आकार दिया जा सके।

पेनेक्टॉमी

पेनेक्टॉमी में पेनिस को निकाल दिया जाता है। यह दो तरह का होता है: पार्शियल पेनेक्टॉमी में पेनिस का एक हिस्सा हटाया जाता है जबकि टोटल पेनेक्टॉमी में पूरे पेनिस को निकाल दिया जाता है। किस प्रकार की पेनेक्टॉमी की जाए, इस बात पर निर्भर करता है कि पेनिस में कितने भीतर तक ट्यूमर फैला है और कैंसर का फैलाव किस हद तक है। अगर पेनिस के भीतर तक कैंसर मौजूद है, तो टोटल पेनेक्टॉमी की जाती है। जिन मरीजों में पार्शियल पेनेक्टॉमी की जाती है वे अभी भी खड़े होकर पेशाब कर पाएँगे, लेकिन जिन मरीजों की टोटल पेनेक्टॉमी की जाती है उनमें गुदा (एनस) से जुड़ा हुआ मूत्रमार्ग (यूरेथ्रा) होगा और वे गुदा के माध्यम से ही पेशाब कर पाएँगे। पेशाब धारण करने और नियंत्रित करने का काम जारी रहेगा।

पुनर्निर्माण (रीकंस्ट्रक्शन)

कुछ सर्जन शरीर के अन्य हिस्सों से मांसपेशी और त्वचा लेकर सर्जरी के बाद पेनिस का पुनर्निर्माण करते हैं। पुनर्निर्माण के बाद, मरीज के लिए सर्जरी से पहले की तरह पेशाब करना संभव हो सकता है।

लिम्फ नोड निकालना

अगर लिम्फ नोड में कैंसर का संदेह है, तो वहाँ कैंसर की मौजूदगी का पता लगाने के लिए एफ़एनएसी किया जाता है। अगर ग्रॉइन (यानी पेट और जांघ के बीच का भाग) के लिम्फ नोड में कैंसर का सबूत है, तो लिम्फ नोड का डिसेक्शन या रिमूवल किया जाता है जिसमें उस जगह के सभी लिम्फ नोड निकाल दिए जाते हैं। यह किसी एक या दोनों ग्रॉइन पर हो सकता है। अगर सेंटिनल नोड बायोप्सी की जाती है, तो पॉज़िटिव सेंटिनल नोड की साइड के लिम्फ नोड निकाल दिए जाते हैं।

रेडियोथेरपी

पेनिस कैंसर की उपचार विधि के रूप में रेडियोथेरपी का उपयोग विभिन्न स्थितियों में किया जाता है। इसका इस्तेमाल उन मरीजों पर सर्जरी के बजाय कैंसर के उपचार में किया जा सकता है, जिनकी फिटनेस कम है या अन्य कारणों से सर्जरी नहीं हो सकती। लिम्फ नोड के डिसेक्शन के बजाय पेनिस पर सर्जरी के बाद ग्रॉइन के लिम्फ नोड के उपचार के लिए रेडियोथेरपी का इस्तेमाल किया जा सकता है। पेल्विस के लिम्फ नोड में फैलने वाले कैंसर के उपचार के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है। अगर रेडियोथेरपी दी जाती है तो 6 सप्ताह तक की अवधि के लिए दैनिक उपचार के रूप में इसका उपयोग किया जाता है।

कीमोथेरपी

जिन मरीजों में एडवांस स्टेज का पेनाइल कैंसर हैं, उनमें कीमोथेरपी का उपयोग किया जाता है। टैक्सन्स, सिस्प्लैटिन और इफोस्फैमाइड जैसी दवाओं के संयोजन के साथ कीमोथेरपी का उपयोग रोग का परिमाण कम करने के लिए सर्जरी से पहले किया जा सकता है। पुनरावृत्ति (रीकरेंस) के जोखिम को कम करने के लिए एडवांस स्टेज वाले मरीजों में सर्जरी के बाद भी इसका उपयोग किया जा सकता है। जिन मरीजों को मेटास्टैटिक रोग है या वह बीमारी है जो प्रारंभिक उपचार के बाद वापस आ गई है, उनमें कीमोथेरपी का उपयोग इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।