Spinal Cord Compression

मेरुदंड संपीडन (स्पाइनल कॉर्ड कंप्रेशन)

स्पाइनल कॉर्ड / मेरुदंड

स्पाइनल कॉर्ड/ मेरुदंड एक मुलायम ट्यूब जैसी संरचना है, जो शरीर के सभी हिस्सों की तंत्रिकाओं को मस्तिष्क से जोड़ती है। मेरुदंड में मेरुदंड नलिका होती है जिसकी कशेरुकों के बीच में खाली स्थान होता है। सभी कशेरुक मिलकर मेरुदंड बनाते हैं, जिसे ग्रीवा (गर्दन), वक्ष (छाती), कटि (उदर) और सेक्रमी क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है। इन कशेरुकाओं में मौजूद मेरुदंड को सर्वाइकल कॉर्ड, थोरासिस कॉर्ड इत्यादि नाम से भी जाना जाता है।
स्पाइनल कॉर्ड/ मेरुदंड का कार्य शरीर के अंगों से मस्तिष्क तक और मस्तिष्क से शरीर के अन्य भागों में तंत्रिका संवेगों को संचारित करना है। जैसे- यदि हम टहलने का फैसला करते हैं, तो यह संदेश मस्तिष्क से मांसपेशियों तक लेकर हाथ और पैरों में पहुंचता है, जिससे हम उठने और चलने में सक्षम बनते हैं। इसी तरह, संवेदनाएं जैसे स्पर्श, दर्द, तापमान को भी महसूस किया जाता है, जब ये संवेदनाएं इंद्रियों से होकर मस्तिष्क में संचारित होती हैं।

कैंसर में स्पाइनल कार्ड कम्प्रेशन (मेरुदंड संपीडन)

मेरुदंड में संपीडन (कंप्रेशन) कशेरुक (रीढ़) में फैली हुई एक ऐसी अवस्था या जटिलता है, जो कैंसर के मरीजों में हो सकती है। जब कशेरुक (मेरुदंड/रीढ़) में कैंसर फैलता है, तो कशेरुक कमजोर हो सकता है, तथा मेरुदंड नलिका में संकुचन आ सकता है और फिर रीढ़ में संकुचन या कसाव के कारण अस्थिभंग (फ्रैक्चर) या हड्डी का टूटना हो सकता है, या यह अस्थिर हो सकता है यानी अपनी जगह से इधर-उधर हो सकता है। इस वजह से, मेरुदंड अनावश्यक कार्य करने लगता है तथा इस कारण के लक्षण मरीज में हो सकते है । कुछ मरीजों के कशेरुक टूटते नहीं, तो भी कैंसर मेरुदंड नलिका में फैल सकता है और संपीडन (कंप्रेशन) का कारण बन सकता है। यह ध्यान देने वाली बात है कि कशेरुक (मेरुदंड) कैंसर के सभी मरीजों में मेरुदंड संपीडन नहीं होता है, लेकिन कुछ में ऐसा हो सकता है। आमतौर पर, इस प्रकार कैंसरों में फेफड़े, प्रोस्टेट, स्तन, मायलोमा और गुर्दे में होने वाले कैंसर आते हैं।

कैंसर के मरीजों में स्पाइनल कॉर्ड संपीडन का संदेह निम्न लक्षणों से होता है, खासकर उन मरीजों में, जिनकी अस्थियों में मेटास्टेस होने का पता पहले से होता है। इनके सामान्य लक्षण नीचे दिए गए हैं।

पीठ दर्द

अस्थि (हड्डी) मेटास्टेस के मरीजों में पीठ दर्द एक सामान्य लक्षण है। दर्द रीढ़ के किसी भी हिस्से में हो सकता है। नीचे दिए हुए अन्य लक्षणों के होने पर मरीज को स्पाइनल कॉर्ड संपीडन के बारे में सचेत रहना चाहिए।

बांहों और पैरों में कमजोरी

बांहों या पैरों में कमजोरी होने वाले या हो चुके रीढ़ के संपीड़न का संकेत हो सकती है। जिन मरीजों को अचानक या धीरे-धीरे हाथों या पैरों की कमजोरी का पता चलता है, उनमें रीढ़ के संपीडन को दूर करने के लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। उन्हें कमजोरी या चलने में कठिनाई हो सकती है या टहलने के दौरान पैरों में लड़खड़ाहट या बिस्तर अथवा कुर्सी से उठने का प्रयास करते समय परेशानी हो सकती है।

संवेदी लक्षण

पैरों का सुन्न पड़ना, हाथों या बाहों अथवा शरीर के किसी भी भाग में झनझनाहट या जड़ हो जाने जैसे लक्षण भी इस रोग के लक्षण हो सकते हैं।

मूत्र प्रतिधारण (यूरीनरी रिटेंशन)

पेशाब करने (मूत्र विसर्जन करने) में असमर्थ होने की अचानक या धीमी शुरुआत मेरुदंड के संपीडन का एक लक्षण हो सकती है।

कब्ज

गंभीर कब्ज या मल त्याग करने में होने वाली परेशानी मेरुदंड संपीडन का लक्षण हो सकती है, खासकर अगर यह ऊपर वर्णित अन्य लक्षणों के साथ हो।

यदि मरीज में दिख रहे लक्षणों और जाँच के आधार पर, डॉक्टर को मेरुदंड संपीडन का संदेह होता है, तो रोग की पुष्टि या खंडन करने के लिए, तत्काल एमआरआई स्कैन किया जाता है। एक बार, जब यह स्थिति संदिग्ध हो जाती है, तो इसकी तत्काल जांच और उपचार बहुत जरूरी है, क्योंकि ऐसा करने से इन लक्षणों में और सुधार हो सकता है तथा मरीज को स्थायी रूप से विकलांग होने से रोका जा सकता है।

सम्पूर्ण रीढ़ की एमआरआई (MRI)

रीढ़ (मेरुदंड) संपीडन होने का निर्धारण करने के लिए, पूरे रीढ़ की एमआरआई स्कैन करना, सबसे अच्छा परीक्षण है। यदि एमआरआई स्कैन उपलब्ध नहीं है अथवा मरीज इसके लिए उपयुक्त नहीं है, तो सीटी स्कैन करना, इस रोग के निर्धारण के लिए, अगला सबसे अच्छा परीक्षण (टेस्ट) है।

मेरुदंड संपीडन एक प्रकार की मेडिकल इमरजेंसी है, जिसका उपचार तत्काल किया जाना चाहिए, यानी बिना देर किए, उसी दिन या 24 घंटे के भीतर। यह मेरुदंड में स्थायी नुकसान को रोकने के लिए आवश्यक है, क्योंकि इसके बढ़ जाने के बाद, इसकी रिकवरी मुश्किल हो सकती है। इस स्थिति किए जाने वाले उपचार के दो प्रकार हैं। पहली सर्जरी और दूसरी रेडियोथेरेपी। रोग की स्थिति, कैंसर की अवस्था तथा मरीज की फिटनेस के आधार पर एक या दोनों विकल्पों का उपयोग किया जा सकता है।

स्टेरॉयड

रीढ़ (मेरुदंड) के संपीडन के नियंत्रण में स्टेरॉयड एक महत्वपूर्ण उपचार विकल्प होते हैं। एमआरआई आदि परीक्षणों से पहले ही, इस रोग का संदेह होने होते ही, इसे सामान्य रूप से शीघ्र शुरू किया जाना चाहिए। स्टेरॉयड मेरुदंड के आसपास की सूजन एवं दबाव को कम करते हैं। इन हालात में, आमतौर पर, इस्तेमाल किया जाने वाला स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन है।

सर्जरी

स्पाइनल कॉडड/ मेरुदंड के संपीडन में, रीढ़ के आस-पास के कैंसर को असंकुचन (डीकंप्रेशन) करने के हलए सजडरी की जाती है। इस सजडरी से मेरुदंड को दबाव से राहत हमलती है तथा यह कफर से सामान्य रूप से कायड करने में सक्षम बनता है। सर्जडकल डीकंप्रेशन में रीढ़ (मेरुदंड) को हस्थर करने के हलए कशेरुक के अहस्थर हहस्से को हनकाला भी जा सकता है। इसके द्वारा स्पाइनल कॉडड (मेरुदंड) के चारो ओर फैले कैंसर को भी हनकाल कदया जाता है। सजडरी अमूमन युवा और सेहतमंद रोगी के साथ ही उस रोगी में की जाती है, हजसमें कैंसर सीहमत मा में ही होता है।

रेडियोथेरेपी

रेडियोथेरेपी स्पाइन कॉर्ड (मेरुदंड) संपीडन का एक सामान्य उपचार है। इस उपचार का उद्देश्य उस कैंसर को नियंत्रित करना है, जो कॉर्ड कंप्रेशन (संपीडन) का कारण बन रहा है। रेडियोथेरेपी को दो प्रकार से दिया जा सकता है।

मानक रेडियोथेरेपी में, रोग के उपचार के लिए 1, 5 या 10 दिनों में रेडियोथेरेपी की जाती है। इसे दिन में एक बार और 5-10 मिनट तक दिया जाता है।

कीमोथेरेपी

जिन मरीजों में, लिम्फोमस, जर्म सेल ट्यूमर या फेफड़े के छोटे सेल कार्सिनोमा जैसे कैंसरों के कारण स्पाइनल कॉर्ड (मेरुदंड) संपीडन (कंप्रेशन) होता है, उनका उपचार सर्जरी या रेडियोथेरेपी के बजाय, कीमोथेरेपी से किया जा सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ये कैंसर दूसरे कैंसरों की तुलना में कीमोथेरेपी करने पर शीघ्रता से प्रतिक्रिया देते हैं।

पुनर्वास और फिजियोथेरेपी

यह इस रोग के उपचार का एक महत्वपूर्ण प्रतिरूप है तथा इसमें सभी प्रकार के उपचारों के पूरा होने के बाद, मरीज को अपने कार्यों में सुधार करने में सहायता मिलती है। स्पाइनल कॉर्ड (मेरुदंड) के संपीडन (कंप्रेशन) से संबंधित लक्षणों की रिकवरी में समय लग सकता है और इस प्रकार से, एक अच्छा पुनर्वास कार्यक्रम इस रिकवरी प्रक्रिया में मदद कर सकता है।