विल्म्स ट्यूमर

विल्म्स ट्यूमर

विल्म्स ट्यूमर या नेफ्रोबलास्टोमा बच्चों में होने वाला एक कैंसर है, जो पेट में स्थित किडनी (गुर्दे) में होता है। यह बच्चों में होने वाला सबसे आम पेट-संबंधी ट्यूमर है, जो बच्चों में होने वाले कैंसरों का लगभग 5-6% होता है। अधिकांशतः ये कैंसर 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में होते हैं।

विल्म्स ट्यूमर से जुड़े जोखिम कारकों में जन्मजात सिंड्रोम जैसे कि डब्लूएजीआर (WAGR) सिंड्रोम, बेकविथ-विडमैन सिंड्रोम, डेनिस-ड्रैश सिंड्रोम, सोतोस सिंड्रोम और पर्लमैन सिंड्रोम शामिल होते हैं।

विल्म्स ट्यूमर से जुड़े लक्षणों में पेट में सूजन या पेट में मांस-पिंड बनना और दर्द होना, बुखार तथा उच्च रक्तचाप शामिल हैं। जिन रोगियों में यह कैंसर अन्य शारीरिक भागों में फैल गया होता है, उनमें अगर रोग फेफड़ों में फैल गया है, तो खांसी होना या सांस फूलना तथा भूख कम लगना और वजन कम होने जैसे लक्षण दिखते हैं।

विल्म्स ट्यूमर के निदान के लिए आमतौर पर की गई जांचों में पेट का अल्ट्रासाउंड शामिल है, जो ऐसी पहली जांच है, जो किडनी (गुर्दे) से उत्पन्न होने वाले पेट में मांस-पिंड (गांठ) को दर्शाती है। इसके बाद सीटी स्कैन या पेट का एमआरआई स्कैन किया जाता है। कैंसर अन्य भागों में तो नहीं फैल गया है, इसकी जांच के लिए शरीर के बाकी भागों का भी सीटी स्कैन किया जाता है। किए गए स्कैनों के परिणामों के आधार पर उपचार से पहले बायोप्सी की भी जा सकती है और नहीं भी। बायोप्सी नमूना पर किए गए जेनेटिक (आनुवंशिक) अध्ययन से सबसे अच्छे उपचार विकल्प को निर्धारित करने में मदद मिलती है तथा साथ ही रोग-निदान के बारे में राय दी जा सकती है।

विल्म्स ट्यूमर की स्टेजिंग विभिन्न प्रणालियों जैसे कि NWTS (एनडब्लूटीएस) प्रणाली, SIOP (एसआईओपी) स्टेजिंग प्रणाली द्वारा की जाती है। विल्म्स ट्यूमर को भी कम, मध्यम और अति गंभीर समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है तथा इन वर्गीकरण के आधार पर उपचार की रणनीतियां अलग-अलग हो सकती हैं। इन स्टेजिंग प्रणालियों का उपयोग सर्जरी (शल्य-क्रिया) के बाद किया जाता है। एक सरलीकृत प्रणाली नीचे दी गई है।

स्टेज 1 ट्यूमर गुर्दे तक ही सीमित होता है।
स्टेज 2 ट्यूमर गुर्दे से सटे अंगों या ऊतकों तक फैला हुआ होता है लेकिन सर्जरी करके इसे पूरी तरह से हटा दिया जाता है।
स्टेज 3 ट्यूमर पेट में लिम्फ नोडों को भी अपने चपेट में ले लिए होता है या बिखर गया होता है या अपूर्ण रूप से ऑपरेशन के समय निकाला गया होता है।
स्टेज 4 मेटास्टैटिक रोग होता है।
स्टेज 5 कैंसर दोनों किडनी (गुर्दों) में होता है।

विल्म्स ट्यूमर के उपचार में सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का संयोजन (साथ-साथ) शामिल है। विल्म्स ट्यूमर वाले अधिकांश रोगियों में यह कैंसर सुसाध्य है मतलब ठीक हो सकता है। अधिकांश रोगियों का उपचार सर्जरी और कीमोथेरेपी से किया जाता है। ऐसे सभी रोगी, जिनके ट्यूमर ऑपरेशन करने योग्य हैं, उनमें शल्य-क्रिया द्वारा कैंसर को निकाल दिया जाता है। इसके बाद कीमोथेरेपी की जाती है। कीमोथेरेपी में उपयोग की जाने वाली दवाओं में विन्क्रिस्टिन, डॉक्सोरूबिसिन और डैक्टिनोमाइसिन शामिल हैं। कुछ अस्पताल पहले कीमोथेरेपी और फिर सर्जरी करने के लिए कहते हैं। रेडियोथेरेपी का उपयोग मध्यम और अति जोखिम वाले रोगियों में किया जाता है और इसे 4-5 हप्तों तक किया जा सकता है।