Clinical Trials

नैदानिक परीक्षण (क्लिनिकल ट्रायल)

नैदानिक परीक्षण क्या हैं?

नैदानिक परीक्षण (क्लिनिकल ट्रायल) चिकित्सा शोध अध्ययन (मेडिकल रिसर्च अध्ययन) हैं, जो डॉक्टरों को नए और अधिक प्रभावी परीक्षण, दवाएं और उपचार पाने में सक्षम बनाते हैं।

नैदानिक परीक्षण के लिए किन-किन साधनों की जरूरत होती है?

नैदानिक परीक्षण करने के लिए निम्न की जरूरत होती है।

जांचकर्ता (इनवेस्टीगेटर)-वह व्यक्ति जो नैदानिक परीक्षण करने के लिए जिम्मेदार होता है, उसे जांचकर्ता (इनवेस्टीगेटर) कहा जाता है।

मरीज-नैदानिक परीक्षण में नई जांच, कारगर दवा या उपचार का परीक्षण करने के लिए मरीजों की जरूरत होती है।

दवा या उपचार- जब नैदानिक परीक्षण में किसी नई दवा का परीक्षण किया जाता है तो इसे मरीजों को दिए जाने के लिए उपलब्ध रहना चाहिए। कुछ परीक्षण मानक दवा की तुलना नई दवा से करने के लिए किए जाते हैं, इसलिए ऐसे परीक्षण की स्थिति में दोनों दवाएं उपलब्ध रहनी चाहिए।

नैदानिक (क्लिनिकल) परीक्षण के विभिन्न चरण क्या हैं?

नैदानिक (क्लिनिकल) परीक्षणों को विभिन्न चरणों में विभाजित किया जा सकता है। नैदानिक परीक्षण के प्रत्येक चरण की भूमिकाएं अलग-अलग होती हैं और कुछ भूमिकाएं चरणों के बीच ओवरलैप करती हैं, यानी दोनों चरणों में होती हैं।

चरण 1 परीक्षण

चरण 1 परीक्षण, वह परीक्षण है जिसमें मरीजों पर नई दवाओं का परीक्षण पहली बार किया जाता है। इस परीक्षण या अध्ययन का उद्देश्य मरीज को उस दवा देने की सही खुराक का पता लगाना है ताकि उस दवा के दुष्प्रभावों को संतुलित किया जा सके।

इस परीक्षण से यह अध्ययन करने में सहायता मिलती है कि नई दवा शरीर में कैसे व्यवहार करती है तथा इसके क्या दुष्प्रभाव होते हैं।

चरण 1 परीक्षण आमतौर पर कम मरीजों पर और चरणबद्ध तरीके से बुद्धिमत्ता और सावधानीपूर्वक किया जाता है। दुष्प्रभावों के आधार पर प्रत्येक चरण में दवा की खुराक धीरे-धीरे बढ़ाई जा सकती है। चरण 1 परीक्षण को मरीजों में तभी किया जाता है, जब उनपर सभी मानक उपचार विकल्पों को आजमा लिया गया होता है और उन विकल्पों से फायदा होता नहीं दिख रहा होता है।

चरण 2 परीक्षण

सबसे पहले चरण 1 परीक्षण से गुजरने के बाद दवा पर चरण 2 परीक्षण किया जाता है। इस चरण में दवा एक विशेष कैंसर के लिए कारगर है या नहीं, इस जानकारी सहित दवा के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त की जाती है। इस चरण में दुष्प्रभावों के बारे में भी अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। आम तौर पर चरण 1 की तुलना में चरण 2 परीक्षण में अधिक मरीजों को शामिल किया जाता है। और कभी-कभी अध्ययन की जा रही दवा की तुलना दूसरी दवा या प्लेसीबो (प्रायोगिक औषधि) से की जाती है। प्लेसीबो (प्रायोगिक औषधि) दवा जैसा दिखता है लेकिन इसमें सक्रिय घटक नहीं होते हैं। यदि चरण 2 परीक्षण सफल हो जाता है, यानी इसमें पता चल जाता है कि दवा कारगर है तो चरण 3 परीक्षण किया जाता है।

चरण 3 परीक्षण

चरण 3 परीक्षण बहुत सारे मरीजों पर किया जाता है और इसमें सैकड़ों से लेकर हजारों मरीज शामिल हो सकते हैं। इस परीक्षण का उद्देश्य किसी रोग स्थिति के उपचार में प्रयोग की जाने वाली दवा से एक नई दवा की तुलना करना है। यदि नई दवा पहले से प्रयोग की जाने वाली दवा से बेहतर पाई जाती है तो नई दवा को आमतौर पर मानक मान लिया जाता है। परीक्षण में आम तौर पर दो शाखा या दो ग्रुप होते हैं, एक नई दवा के लिए और दूसरा मानक दवा के लिए, लेकिन एक ही मानक विकल्प के लिए एक साथ कई संयोजनों का परीक्षण करने वाले कई ग्रुप (शाखा) हो सकते हैं। केवल चरण 2 या 3 परीक्षण को दुनिया भर में किसी एक देश में या कई देशों के विभिन्न केंद्रों पर एक साथ किया जा सकता है।

चरण 4 परीक्षण

चरण 4 परीक्षण कभी-कभी किया जाता है। यह परीक्षण केवल तभी किया जाता है, जब एक नई दवा को प्रयोग करने के लिए स्वीकृत कर दिया जाता है या लाइसेंस दे दिया जाता है। इस परीक्षण में जब दवा का उपयोग सामान्य व्यवहार में किया जाता है तो बड़े स्तर पर दुष्प्रभावों और प्रभाविता पर ध्यान दिया जाता है।

नैदानिक (क्लिनिकल) परीक्षण के प्रकार कौन-कौन से हैं?

विभिन्न चरणों के अलावा, नैदानिक परीक्षण विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं।

यादृच्छिक परीक्षण

यह एक प्रकार का ऐसा परीक्षण है जिसमें मरीज को यादृच्छिक रूप से एक अध्ययन शाखा आवंटित की जाती है और मरीज या जांचकर्ता के पास कोई विकल्प नहीं होता कि मरीज को किस शाखा में रखना है। आमतौर पर कंप्यूटर द्वारा मरीज को एक शाखा आवंटित की जाती है। रैंडोमाइजेशन (यादृच्छिकता) यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि परीक्षण शाखाएं समान रूप से मेल खाती हों और चयन में कोई पक्षपात न हो।

गुप्त परीक्षण (ब्लाइंडेड ट्रायल)

गुप्त अध्ययन में मरीज (एकल गुप्त) या मरीज और डॉक्टर (द्वि गुप्त) को यह पता नहीं होता कि उन्हें कौन सी दवा दी गई है। यह मानक दवा, परीक्षण दवा या एक प्लेसबो (प्रायोगिक औषधि) हो सकता है। इस प्रकार के अध्ययन का उद्देश्य पूर्वाग्रह को भी दूर करना है।

क्या नैदानिक परीक्षण में भाग लेने के लिए कोई शुल्क देना पड़ता है?

नैदानिक परीक्षण में भाग लेने के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आम तौर पर, परीक्षण कराने वाली कंपनी या अस्पताल ही परीक्षण में उपयोग की जाने वाली दवाओं या परीक्षण के भाग के रूप में जरूरी स्कैन या जांचों के लिए भुगतान करती हैं।

ऐसे परीक्षण में भाग लेने वाले मरीज के अधिकार और विशेषाधिकार क्या हैं?

  • यह पूरी तरह से मरीज के ऊपर निर्भर करता है कि वह परीक्षण में भाग ले या नहीं।
  • दवाओं के सभी संभावित दुष्प्रभावों सहित, मरीजों को परीक्षण की पूरी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होता है।
  • मरीज किसी भी समय परीक्षण को छोड़ सकता है।
  • जैसा कि ऊपर बताया गया है, मरीज को परीक्षण दवाओं के लिए कोई भुगतान नहीं करना पड़ता है।
  • मरीज को एक सुविज्ञ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करना होता है। सुविज्ञ सहमति एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें उपचार के बारे में सभी जानकारी प्राप्त करने के बाद मरीज उपचार के लिए अपनी सहमति देता है।
  • मरीज को किसी प्रकार की परेशानी, दुष्प्रभाव या विषाक्तता होने पर परीक्षण टीम द्वारा इससे निपटा जाता है।

मरीज को नैदानिक परीक्षण की पेशकश कब की जाती है?

मरीज को नैदानिक परीक्षण की पेशकश विभिन्न सेटिंग में की जाती है। जिसके बारे में नीचे जानकारी दी गई है।

  • जब मरीज को ठीक करने के लिए सभी मानक उपचार विकल्पों का उपयोग कर लिया जाता है और कोई भी अन्य उपचार विकल्प बचा नहीं रहता है और मरीज को फिर भी कैंसर को नियंत्रित करने के लिए कोशिश करने की जरूरत होती है तो एक नई प्रयोगात्मक दवा के द्वारा कैंसर को नियंत्रित करने की कोशिश की जा सकती है।
  • जब लाभार्थी (मरीज) को एक नई दवा दिखाई जाती है, जिसे मानक उपचार के अलावा परीक्षण की जरूरत होती है तो दो दवाओं में तुलना करने के लिए एक नैदानिक परीक्षण किया जाता है।

क्या नैदानिक परीक्षण में भाग लेने के लिए मरीजों से कोई शुल्क लिया जाता है?

आमतौर पर नैदानिक परीक्षण में भाग लेने के लिए मरीजों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। ऐसे कुछ परीक्षण हो सकते हैं जिसके लिए मरीजों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाता है, लेकिन ऐसा बहुत ही कम होता है।

नैदानिक परीक्षण में भाग लेने के क्या लाभ हैं?

नैदानिक परीक्षण में भाग लेने के विभिन्न लाभ हो सकते हैं। जैसे कि-

  • एक नई दवा का उपयोग करना जो अभी तक बाजार में उपलब्ध नहीं है।
  • परीक्षण में भाग लेकर ऐसी दवाएं नि: शुल्क प्राप्त करना जिनके लिए मरीज को बाहर लेने पर भुगतान करना पड़ सकता है।
  • विभिन्न जांच जैसे कि स्कैन आदि निशुल्क प्राप्त करना क्योंकि ये परीक्षण के भाग होते हैं।
  • परीक्षण के हिस्से के रूप में किसी डॉक्टर द्वारा सामान्य से अधिक बार-बार देखा जाता है।
  • परीक्षण में भाग लेने से मानक विकल्पों के साथ ही अधिक उपचार विकल्पों की संभावना होती है।

नैदानिक (क्लिनिकल) परीक्षण में किस प्रकार के उपचार शामिल होते हैं?

कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, बायोलॉजिकल थेरेपी, सर्जरी और रेडियोथेरेपी जैसे कैंसर उपचार के सभी विकल्पों पर नैदानिक परीक्षण किया जा सकता है। कभी-कभी, ये परीक्षण कैंसर के उपचार के बजाय, कैंसर के सहायक उपचारों पर किए जाते हैं। ये परीक्षण कैंसर के लक्षणों तथा कैंसर के रोग-निर्णय या उपचारों के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों पर भी किए जाते हैं।