कैंसर का निदान
कैंसर का संदेह होने पर, ऐसी जांच / परीक्षण की आवश्यकता होती है जो संदेह की पुष्टि या खंडन करेंगे. कैंसर के निदान में सहायता के लिए निम्नलिखित जांच / परीक्षण किए जा सकते हैं :
कैंसर के निदान की प्रक्रिया में विभिन्न प्रकार के रक्त परीक्षण (खून की जांच) किए जाते हैं. कुछ रक्त परीक्षण सभी प्रकार के कैंसरों के लिए किए जाते हैं और अन्य कुछ रक्त परीक्षण विशिष्ट कैंसरों की जांच के लिए किए जाते हैं. विशिष्ट रक्त परीक्षणों में अर्बुद चिह्नक (ट्यूमर मार्कर) शामिल होते हैं जो कैंसर द्वारा उत्पादित प्रोटीन होते हैं और रक्त प्रवाह में मौजूद होते हैं और इसे मापा जा सकता है. कुछ रक्त परीक्षण यह देखने के लिए भी किए जाते हैं कि कैंसर उपचार पर प्रतिक्रिया दे रहा है या नहीं.
किए जाने वाले सामान्य रक्त परीक्षणों में शामिल हैं :
- सीबीपी (पूर्ण रक्त तस्वीर)
- विद्यतअपघट्य (इलेक्ट्रोलाइट) सहित गुर्दा क्रिया परीक्षण
- एलएफटी (लिवर क्रिया परीक्षण)
- ईएसआर (लोहितकोशिका अवसादन दर) कभी-कभी किया जाता है
- कैल्शियम
- थक्का प्रोफाइल (विशेषकर बायोप्सी से पहले)
विशिष्ट रक्त परीक्षणों में शामिल हैं :
- पीएसए (प्रोस्टेट विशिष्ट ऐन्टिजन) – प्रोस्टेट कैंसर में उन्नयित
- सीईए (कार्सिनो भ्रूणवृत्तीय ऐंटिजन) – मुख्यत: बृहदांत्र और मलाशय कैंसरों में उन्नयित
- CA153- स्तन कैंसर में उन्नयित
- CA125- गर्भाशय कैंसर में उन्नयित
- CA19.9- मुख्यत: अग्न्याशय कैंसर में उन्नयित
- एएफपी (अल्फा फेटो प्रोटीन) – एकृत कैंसर तथा वृषण कैंसर में उन्नयित
- B-HCG- वृषण के कैंसर में उन्नयित
- थ्रॉयोग्लोबुलिन – अवटु (थ्रॉयरॉइड) कैंसर में उन्नयित
- कैल्सिटोनिन – कुछ अवटु (थ्रॉयरॉइड) कैंसर में उन्नयित
- एलडीएच (लैक्टेट डीहाइड्रोजेनेस)- लिंफोमा में उन्नयित
- सीरम इम्युनोग्लोबुलिन – माइलोमा में उन्नयित
- सीरम प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस – माइलोमा या प्लाज्मा कोशिकाओं की विकृति में परीक्षण
- बीटा 2 माइक्रोग्लोबुलिन – माइलोमा में उन्नयित
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन परीक्षणों का उन्नत स्तर होने का मतलब अनिवार्यत: यह नहीं है कि शरीर में कैंसर है. इन परीक्षणों को एक अनुकूल परिस्थितियों में भी उन्नत किया जा सकता है. परीक्षण किसी विशिष्ट कैंसर के लिए अत्यधिक विशिष्ट नहीं होते हैं. इनमें से कुछ परीक्षणों को कई कैंसरों में उन्नत किया जा सकता है. एक बार पहले ही निदान कर लिए जाने पर उपचार पर प्रतिक्रिया की निगरानी करने और कैंसर की पुनरावृत्ति को देखने में इनका अधिक महत्व होता है.
आधुनिक तकनीक उपलब्ध होने से, एक्स-रे और स्कैन जांच का एक प्रमुख हिस्सा बनते हैं जो कैंसर के निदान में मदद करने के लिए किए जाते हैं. आमतौर पर निम्नलिखित परीक्षण किए जाते हैं:
एक्स-रे
छाती, स्तन (मेम्मोग्राम), पेट, हड्डियों का एक्स-रे को लक्षणों का आकलन करने, कैंसर की उपस्थिति का पता लगाने और उपचार पर प्रतिक्रिया का आकलन करने के लिए किया जा सकता है. हालांकि, एक्स-रे सामान्यतया उतने अच्छे नहीं होते हैं जितने अच्छे स्कैन होते हैं और एक्स-रे पर कोई संदेह आमतौर पर स्कैन करने के लिए प्रेरित करेगा.
अल्ट्रासाउंड स्कैन
अल्ट्रासाउंड स्कैन छवियां बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करते हैं और आमतौर पर स्तन और अन्य कैंसर के निदान में इनका उपयोग किया जाता है. ये स्कैन सस्ते और हानिरहित हैं लेकिन कुछ कैंसरों का पता लगाने में उतने सटीक नहीं हो सकते जितने सटीक अन्य स्कैन होते हैं.
सीटी स्कैन
सीटी स्कैन एक ऐसा स्कैन है जो स्कैन किए जाने वाले शरीर के हिस्से त्रि-आयामी छवि देने के लिए विकिरणों का उपयोग करता है. यह कैंसर की पहचान करने तथा स्टेज निर्धारित करने में एक्स-रे की अपेक्षा अधिक सटीक होता है. विपर्यास (कंट्रास्ट) वर्धित स्कैन वह होता है जहां स्कैन से पहले नस में एक इंजेक्शन दिया जाता है और इससे बेहतर छवियां प्राप्त होती हैं. जब पेट का स्कैन करना होता है तो मरीज को पीने के लिए ओरल कंट्रास्ट दिया जाता है. सीटी स्कैन करने में कुछ ही मिनट लगते हैं. जब कुछ बायोप्सी की जाती है तो डॉक्टर को मार्गदर्शन करने में मदद के लिए सीटी स्कैन का भी उपयोग किया जाता है.
एमआरआई स्कैन
एमआरआई स्कैन छवियां उत्पन्न करने के लिए चुंबकीय क्षेत्रों का उपयोग करता है और कैंसर के निदान और स्टेज निर्धारण के लिए बहुधा उपयोग किया जाता है. यह स्कैन कुछेक प्रकार के कैंसरों के लिए किया जाता है. एमआरआई मस्तिष्क, रीढ़ और श्रोणि (पेट के निचले हिस्से) जैसे क्षेत्रों में सीटी की तुलना में बेहतर छवियां उत्पन्न करता है. कुछ मरीजों को एमआरआई करवाने में कठिनाई होती है क्योंकि वे स्कैन करते समय संवृति भीत (क्लस्ट्रोफोबिक) महसूस कर सकते हैं. एमआरआई स्कैन में 20 मिनट से लेकर एक घंटे तक समय लगता है. बेहतर चित्र प्राप्त करने के लिए स्कैन के दौरान कंट्रास्ट एजेंट इंजेक्ट किया जाता है. स्कैन अनुक्रम के रूप में किया जाता है और आमतौर पर कैंसर के मरीजों में एक स्कैन में कई अनुक्रम किए जाते हैं.
पीईटी-सीटी स्कैन
स्कैन के लिए एक कार्यात्मक तत्व होने से इस प्रकार का स्कैन मानक सीटी स्कैन से भिन्न होता है. स्कैन का पीईटी घटक शरीर में उन क्षेत्रों का पता लगाने में सक्षम है जहां कोशिकाएं तेजी से विभाजित होती हैं जैसे कि कैंसर, संक्रमण, सूजन आदि. पीईटी-सीटी कुछ कैंसरों के स्टेज निर्धारण में सीटी स्कैन से बेहतर होता है. स्कैन का पीईटी भाग पहले शरीर में विकिरण-लेबलित पदार्थ इंजेक्ट करके पूरा किया जाता है और फिर स्कैन किया जाता है. यह पदार्थ विभाजनकारी कोशिकाओं द्वारा लिया जाता है और स्कैन पर दिखाई देता है.
पीईटी-सीटी स्कैन विभिन्न प्रकार के होते हैं और इनमें अंतर तेजी से विभाजित होने वाली कोशिकाओं का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किए गए विकिरण लेबलित ट्रेसर के प्रकार में निहित है. मानक पीईटी-सीटी स्कैन एक एफडीजी पीईटी है जो 18 फ्लोरीन का उपयोग करता है. इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य ट्रैसरों में कोलीन C-11, 11 C मेथियोनाइन M, 18F लेबल कोलीन, गैलियम 68 लेबल सोमैटोस्टेटिन एनालॉग लेबल का उपयोग न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के लिए किया जाता है और प्रोस्टेट कैंसर आदि के लिए पीएसएमए पीईटी का उपयोग किया जाता है. पीईटी-सीटी स्कैन का उपयोग आजकल कैंसर का निदान करने के लिए किया जाता है और यह बीमारी के स्टेज के सटीक निर्धारण में सहायता करता है. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सभी कैंसर पीईटी-सीटी पर दिखाई नहीं देते हैं. कुछ कैंसर रेडियोधर्मी ट्रेसर नहीं लेते हैं जैसा कि अन्य कैंसर करते हैं और इसलिए केवल कुछेक कैंसरों में एक निश्चित जांच के रूप में पीईटी-सीटी की सिफारिश की जाती है.
F18 बोन स्कैन
यह स्कैन पीईटी-सीटी स्कैन के समान हैं लेकिन स्कैन का उद्देश्य हड्डियों में कैंसर की उपस्थिति का पता लगाना होता है. निदान किए जाने के बाद अस्थि स्कैन किया जाता है और यह कैंसर को रोकने में सहायक होता है. F18 बोन स्कैन को हड्डियों में कैंसर का पता लगाने में टेक्नेटियम बोन स्कैन की तुलना में अधिक संवेदनशील कहा जाता है.
टेक्नेटियम 99 बोन स्कैन
इस तरह के स्कैन का उपयोग हड्डियों में कैंसर का पता लगाने के लिए भी किया जाता है और यह आमतौर पर F18 स्कैन की तुलना में सस्ता होता है.
बायोप्सी क्या है?
बायोप्सी एक ऐसी प्रक्रिया है जहां डॉक्टर कैंसर के निदान के लिए संदिग्ध क्षेत्र से एक नमूना लेता है. नमूना लेने के लिए एक सुई का उपयोग किया जाता है. बायोप्सी अल्ट्रासाउंड स्कैन या सीटी स्कैन जैसे स्कैन की सहायता से लिया जाता है.
फेफड़े के संदिग्ध कैंसर के मरीजों के लिए, ब्रोंकोस्कोपी नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से बायोप्सी ली जा सकती है. हालांकि पेट और आंत में संदिग्ध कैंसर के लिए, निदान की पुष्टि करने के लिए एंडोस्कोपिक बायोप्सी ली जाती है.
बायोप्सी के प्रकार
कटाव (इंसिशनल) बायोप्सी: यह एक प्रकार की बायोप्सी है जिसमें कैंसर के एक हिस्से को काटकर बाहर निकाला जाता है.
अर्बुदीय बायोप्सी:यहां पूरे ट्यूमर को उसके आस-पास के सामान्य ऊतक के मार्जिन के साथ हटा दिया जाता है.
कोर बायोप्सी: यह बायोप्सी की सामान्य विधि है जहां निदान की पुष्टि करने के लिए ऊतक का एक कोर निकाला जाता है.
पतली सुई चूषण कोशिका परीक्षण (FNAC) : इस प्रकार की बायोप्सी में कुछ कोशिकाओं का नमूना लेने के लिए एक पतली सुई का उपयोग किया जाता है.
एंडोस्कोपिक बायोप्सी:यहां, बायोप्सी प्राप्त करने में सहायता के लिए ब्रोन्कोस्कोप, एंडोस्कोप या कोलोनोस्कोप जैसे उपकरण का उपयोग किया जाता है.
बायोप्सी लेने के बाद क्या होता है?
बायोप्सी लेने के बाद, ऊतक का नमूना पैथोलॉजिस्ट को भेजा जाता है. नमूने को मोम ब्लॉक में अंत:स्थापित किया जाता है. स्लाइड्स को तैयार किया जाता है और माइक्रोस्कोप के नीचे देखा जाता है.इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री (IHC) नामक स्लाइडों पर आगे विशेष परीक्षण किया जाता है. ये परीक्षण कैंसर और कैंसर के प्रकार का सटीक निदान करने में सहायक होंगे.
कुछ कैंसर मामलों के लिए, कैंसर में आनुवंशिक परिवर्तन देखने के लिए बायोप्सी नमूने पर आणविक परीक्षण या आनुवंशिक परीक्षण किया जाता है. इन परीक्षणों के परिणामों के आधार पर, मरीजों को विशिष्ट प्रकार के उपचार दिए जा सकते हैं. आम तौर पर बायोप्सी की रिपोर्ट में 3-7 दिन लगते हैा और विशेष परीक्षण किए जाने पर अधिक समय लग सकता है.
क्या बायोप्सी से कैंसर तेजी से बढ़ेगा?
बायोप्सी से कैंसर को तेजी से नहीं बढ़ेगा जैसा कि माना जाता है और लोगों के कुछ वर्गों द्वारा गलत प्रचार किया जाता है. बायोप्सी निदान करने और फिर कैंसर के इलाज के लिए आवश्यक है. कैंसर की उपस्थिति की पुष्टि करते हुए बायोप्सी परिणाम के बिना कोई भी कर्करोग विशेषज्ञ (ऑन्कोलॉजिस्ट) किसी भी उपचार, विशेष रूप से कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी नहीं देगा. कुछ मामलों में, यदि स्कैन कैंसर की उच्च संभावना दर्शाते हैं तो बायोप्सी के बिना सर्जरी की जा सकती है.
क्या बायोप्सी प्रक्रिया दर्दनाक होती है?
जब बायोप्सी की योजना बनाई जाती है, तो डॉक्टर प्रक्रिया के बारे में बताएगा और आमतौर पर प्रक्रिया से पहले एक स्थानिक एनेस्थीसिया दिया जाता है. यह एक इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है और उस क्षेत्र को सुन्न करता है. इसलिए, अधिकांश बायोप्सी दर्द रहित होती हैं, लेकिन कुछ तकलीफ हो सकती है.
अस्थि मज्जा जांच
अस्थि मज्जा जांच में अस्थि मज्जा में कैंसर कोशिकाओं और अन्य असामान्यताओं का पता लगाने के लिए अस्थि से मज्जे का नमूना लेना शामिल है. यह परीक्षण आमतौर पर रक्त और लसीका प्रणाली से संबंधित कैंसर में किया जाता है. मज्जा श्रोणि या उरोस्थि (स्टर्नम) की हड्डियों से लिया जाता है. प्रक्रिया से पहले असुविधा को कम करने के लिए एक स्थानिक एनेस्थेटिक दवा दी जाती है. परीक्षण बाह्य मरीज के आधार पर किया जाता है और मरीज परीक्षण किए जाने के बाद घर जा सकता है. रिपोर्ट कुछ दिनों में उपलब्ध होगी.
बायोप्सी और आईएचसी परीक्षण द्वारा कैंसर का निदान होने पर, कैंसर के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए बायोप्सी नमूने पर ‘आणविक और आनुवंशिक परीक्षण’ भी किया जा सकता है। इन परीक्षणों की आवश्यकता सभी कैंसर में नहीं लेकिन कुछ में होती है। वे उस प्रकार के कैंसर के लिए आणविक और आनुवंशिक स्तर पर मौजूद परिवर्तनों को दिखाते हैं। इन परीक्षणों द्वारा प्रदान की गई अतिरिक्त जानकारी से मरीज के लिए सबसे उपयुक्त उपचार तय करने में मदद मिलती है। कुछ कैंसर में (विशेष रूप से रक्त कैंसर में), परीक्षणों से उन कैंसर के प्रकारों के बीच अंतर करने में मदद मिलती है। कुछ स्थितियों में परीक्षणों से यह जानकारी मिल सकती है कि उस विशिष्ट कैंसर के लिए उपचार कितना प्रभावी सिद्ध होगा। विशिष्ट कैंसर के लिए किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के परीक्षण अपने संबंधित अनुभागों में उल्लेखित हैं।