गर्भाशय कैंसर

गर्भाशय कैंसर

गर्भाशय

गर्भाशय गर्भ को दिया गया एक चिकित्‍सीय नाम है। गर्भाशय ग्रीवा, योनि, डिम्‍बग्रन्‍थि और फैलोपियन ट्यूब के साथ, यह महिला प्रजनन प्रणाली का रूप बनता है।

गर्भाशय एक पेशी थैली है जिसमें बच्चा बढ़ता है। गर्भाशय के अंतरतम अस्तर को अंतर्गर्भाशयकला (एंडोमेट्रियम) कहा जाता है। गर्भाशय में अंतर्गर्भाशयकला (एंडोमेट्रियम) के चारों ओर एक पेशी परत होती है जिसे गर्भाशयपेशीस्‍तर (मायोमेट्रियम) कहा जाता है।

गर्भाशय के निचले हिस्से को गर्भाशय ग्रीवा कहा जाता है जो योनि में खुलता है। गर्भाशय फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से डिम्‍बग्रन्‍थि से जुड़ा होताहै।

गर्भाशय या अंतर्गर्भाशयकला (एंडोमेट्रियल) कैंसर

गर्भाशय में शुरू होने वाले कैंसर को गर्भाशय कैंसर कहा जाता है। कैंसर आमतौर पर अंतर्गर्भाशयकला में विकसित होता है और इसलिए गर्भाशय कैंसर को एंडोमेट्रियल कैंसर भी कहा जाता है। गर्भाशय सार्कोमा अंतर्गर्भाशयकला (एंडोमेट्रियल) कैंसर से अलग हैं और गर्भाशय में मांसपेशियों की परत या अन्य कोशिकाओं से उत्पन्न होते हैं। ग्लोबोकेन डेटा 2018 के अनुसार, भारत में 13,328 गर्भाशय कैंसर थे, जो सभी कैंसर मामलों का 1.2% था।

गर्भाशस कैंसर के प्रकार

गर्भाशय कैंसर का सबसे आम प्रकार एक एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा है जो सभी गर्भाशय कैंसरों का लगभग 90% है। एडेनोकार्सिनोमा अब तक सबसे आम एंडोमेट्रियल कार्सिनोमा हैं।

कम आम ट्यूमर या गर्भाशय के कैंसर में गर्भाशय सार्कोमा शामिल है। गर्भाशय सार्कोमा को मुलेरियन ट्यूमर (कार्सिनोसार्कोमा), एंडोमेट्रियल स्ट्रोमल सार्कोमा और लेयोमायोसार्कोमा से मिश्रित किया जा सकता है।

गर्भाशय के कैंसर से जुड़े विभिन्न जोखिम कारक हैं जो नीचे दिए गए हैं। जोखिम कारक वह है जो कैंसर होने के जोखिम को बढ़ाता है।

आयु

अधिक उम्र की महिलाओं में गर्भाशय का कैंसर अधिक पाया जाता है। 40% से कम उम्र की महिलाओं में 1% से कम गर्भाशय कैंसर का मामला होता है। रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में यह सबसे आम है।

मोटापा और अधिक वजन

मोटापा अंतर्गर्भाशयकला (एंडोमेट्रियल) कैंसर के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है। मोटापे की बढ़ती मात्रा के साथ जोखिम की यह मात्रा बढ़ जाती है। यह मुख्य रूप से मोटापे से ग्रस्त महिलाओं के शरीर में मौजूद हार्मोन एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ने के कारण होता है।

मधुमेह

मधुमेह वाले लोगों में एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

औषध

रजोनिवृत्त महिलाओं में केवल एस्ट्रोजन हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का उपयोग एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। साथ ही टैमोक्सीफेन नामक दवा के उपयोग से भी जोखिम बढ़ जाता है।

बहुपुटी डिम्‍बग्रंथि रोग

बहुपुटी डिम्‍बग्रंथि रोग नामक स्थिति वाली महिलाओं में मुख्य रूप से इस स्थिति में मौजूद हार्मोनल असंतुलन के कारण गर्भाशय कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पारिवारिक इतिहास

जिन महिलाओं की माताएं एंडोमेट्रियल कैंसर से पीड़ित थी, उन्हें थोड़ा बढ़ा हुआ जोखिम है। इसके अलावा, HNPCC नामक आनुवंशिक स्थिति के इतिहास वाले परिवारों में एंडोमेट्रियल कैंसर विकसित होने का खतरा होता है।

जल्‍दी रजोदर्शन और देर से रजोनिवृत्‍ति

जिन महिलाओं के जीवन में माहवारी (पीरियड्स) जल्दी शुरू हो जाती है और जिन लोगों में रजोनिवृत्ति देर से होती है, उनमें गर्भाशय कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, मुख्य रूप से इस अवधि के दौरान डिम्‍बग्रन्‍थि द्वारा उत्पादित एस्ट्रोजन की मात्रा में वृद्धि होती है।

गर्भाशय कैंसर होने के जोखिम को कम करने वाले कारकों में शारीरिक गतिविधि और ओरल गर्भनिरोधक गोली का उपयोग करना शामिल है।

एंडोमेट्रियल कैंसर आमतौर पर प्रारंभिक रूप से मौजूद होते हैं और आमतौर पर शुरुआती चरणों में इन लक्षणों की प्रकृति के आधार पर निदान किया जाता है। अब तक प्रस्तुति का सबसे आम लक्षण योनि से रक्‍तस्राव है।

रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव

एंडोमेट्रियल कैंसर का सबसे आम लक्षण रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में योनि से रक्‍तस्राव है। यह थोड़े मैले या रिसाव सहित कोई भी रक्तस्राव हो सकता है।

अन्य योनि रक्तस्राव

माहवारी (पीरियड्स) के बीच रक्‍तस्राव या लंबे समय तक और भारी रक्तस्राव भी एंडोमेट्रियल कैंसर का संकेत हो सकता है और इसकी जांच करायी जानी चाहिए।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ज्यादातर उपरोक्त लक्षण एंडोमेट्रियल कैंसर से संबंधित नहीं हैं, लेकिन लक्षणों का मूल्यांकन किया जाना महत्वपूर्ण है।

अन्य लक्षण

पेट में गांठ या द्रव्यमान महसूस करना, मूत्र में रक्त का आना, कब्ज, गुदा से रक्‍तस्राव, पीठ में दर्द, वजन कम होना, भूख कम लगना आदि जैसे लक्षण उन्नत रोग के रोगियों में मौजूद हैं लेकिन इस प्रकार के कैंसर में असामान्य हैं।

किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञ द्वारा पूरी तरह से शारीरिक परीक्षण के बाद गर्भाशय या अंतर्गर्भाशयकला (एंडोमेट्रियल) कैंसर की पुष्टि और स्‍टेज निर्धारण के लिए निम्नलिखित जांच की जाती है।

श्रोणि अल्‍ट्रासाउंड

एंडोमेट्रियम में मोटाई देखने के लिए श्रोणि का अल्ट्रासाउंड स्कैन किया जाता है। जैसा कि दूसरे अध्‍याय में बताया गया है, एंडोमेट्रियम गर्भाशय गुहा का अस्तर है और इस अस्तर का मोटा होना अल्ट्रासाउंड स्कैन पर देखा जा सकता है विशेष रूप से पार-योनिक (ट्रांसवेजिनल) अल्ट्रासाउंड स्कैन में। यहां एंडोमेट्रियम (अंतर्गर्भाशयकला) गुहा की स्पष्ट छवियां प्राप्त करने के लिए योनि में एक स्कैन प्रोब डाला जाता है। एंडोमेट्रियम का मोटा होना एंडोमेट्रियल कैंसर के कारण हो सकता है लेकिन ज्यादातर बार यह नहीं होता है। यदि मोटापापन देखा जाता है, तो कारण निर्धारित करने के लिए अधिक परीक्षणों की आवश्यकता होती है।

एंडोमेट्रियल पाइपेले बायोप्‍सी

जब एंडोमेट्रियल मोटापापन दिखाई देता है या जब डॉक्टर को लगता है कि एंडोमेट्रियल बायोप्सी की आवश्यकता है, तो एक पाइपेले बायोप्सी किया जा सकता है। यहां मरीज घुटनों के बल कोच पर लेट जाता है और डॉक्टर स्पेकुलम से योनि को खोलता है और एंडोमेट्रियल गुहा में एक छोटी पतली ट्यूब डालता है और कोशिकाओं का एक नमूना जांच के लिए लिया जाता है। कोशिकाओं को प्राप्त करने के लिए ट्यूब में एक चूषण तंत्र लगा होता है। यह एक बाह्य रोगी प्रक्रिया के रूप में किया जाता है और संज्ञाहरण की आवश्यकता नहीं होती है। रोगी को हल्की असुविधा महसूस हो सकती है।

हिस्टेरोस्कोपी और बायोप्‍सी

हिस्टेरोस्कोपी (गर्भाशयदर्शन) पाइपेले बायोप्सी की तरह ही एक प्रक्रिया है, लेकिन यहां डॉक्टर एक स्थानीय संवेदनाहारी देने के बाद एंडोमेट्रियल गुहा में एक ट्यूब डालते हैं। इस ट्यूब या हिस्टेरोस्कोप के अंत में एक कैमरा होता है और डॉक्टर को गुहा के अंदर देखने के लिए सक्षम बनाता है। इसके बाद एंडोमेट्रियल अस्तर की बायोप्सी ली जा सकती है। इस प्रक्रिया हल्की असुविधा हो सकती है जो दर्द निवारकों से ठीक हो जाती है।

D और C (विस्‍फारण और खुरचना)

यहां डॉक्टर अंतर्गर्भाशयकला गुहा को विस्‍फारित (फैलाता) करता है और अंतर्गर्भाशयकला अस्‍तर को खुरचता (पूर्ण निष्कासन) है और इसे बायोप्सी के लिए भेज दिया जाता है। यह कुछ स्थितियों में अस्तर की थोड़ी मात्रा के नमूने के बजाय किया जाता है। यह प्रक्रिया एक हिस्टेरोस्कोप के उपयोग के साथ की जा सकती है।

अन्‍य जांच

एक बार एक एंडोमेट्रियल कैंसर का बायोप्सी पर निदान किया जाता है, कैंसर के स्‍टेज का निर्धारण करने के लिए अन्य परीक्षण किए जाते हैं।

स्टेज-निर्धारण परीक्षण एंडोमेट्रियल कैंसर के अपने मूल स्थान से या तो स्थानीय या शरीर के अन्य भागों में फैलाव की उपस्थिति या अनुपस्थिति की पहचान करने में मदद करते हैं। सटीक स्‍टेज निर्धारण सबसे उपयुक्त उपचार रणनीति को बनाने में मदद करता है।

एंडोमेट्रियल कैंसर का आमतौर पर प्रारंभिक अवस्था में निदान किया जाता है। इसलिए, किसी भी स्‍टेजिंग जांच मुख्य रूप से श्रोणि में बीमारी के स्थानीय फैलाव का आकलन करने के लिए की जाती है।

एमआरआई स्‍कैन श्रोणि (MRI Scan Pelvis)

श्रोणि का एमआरआई स्कैन गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा और उससे परे एंडोमेट्रियल कैंसर के फैलाव का आकलन करने में मदद करता है। यह श्रोणि के लिम्फ नोड्स में कैंसर के फैलाव के बारे में भी जानकारी देता है।

एमआरआई स्कैन को इस कैंसर के स्टेज का निर्धारण करने के लिए सीटी और पीईटी-सीटी स्कैन से बेहतर माना जाता है।

छाती और पेट का सीटी स्‍कैन

छाती और पेट का सीटी स्कैन छाती और पेट के क्षेत्रों में कैंसर के प्रसार को देखने के लिए किया जाता है। यह स्कैन नियमित रूप से आवश्यक नहीं है, लेकिन फैलने का अधिक संदेह होने पर किया जाता है।

रक्‍त परीक्षण

इस स्थिति के उपचार से पहले रूटीन रक्त परीक्षण किया जाता है। इस कैंसर के लिए कभी-कभी CA125 जैसे विशेष परीक्षण किये जाते हैं।

एंडोमेट्रियल कैंसर के स्‍टेज का निर्धारण TNM स्टेजिंग प्रणाली और FIGO स्टेजिंग प्रणाली के आधार पर किया जाता है।

ये स्‍टेज नीचे सूचीबद्ध हैं।

T स्‍टेज और FIGO स्‍टेज

TNM स्‍टेज FIGO स्‍टेज
T1 1 केवल गर्भाशय में मौजूद ट्यूमर
T1a 1a केवल एंडोमेट्रियम में मौजूद ट्यूमर या पेशी परत के अंदरूनी आधे हिस्से तक फैला हुआ है
T1b 1b ट्यूमर पेशी परत के बाहरी आधे हिस्से तक फैला हुआ है
T2 2 ट्यूमर गर्भाशय ग्रीवा में फैला हुआ है
T3a 3a ट्यूमर में गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब या डिम्‍बग्रन्‍थि की बाहरी परत शामिल होती है
T3b 3b ट्यूमर में योनि या गर्भाशय के आसपास का क्षेत्र (पैरामरिया) शामिल होता है
T4 4a ट्यूमर में मूत्राशय या आंत्र शामिल है

N स्‍टेज और FIGO स्‍टेज

N0 ट्यूमर द्वारा लिम्फ नोड्स शामिल नहीं हैं
N1 3C1 ट्यूमर श्रोणि लिम्फ नोड्स में फैल गया है
N2 3C2 ट्यूमर पैरा-महाधमनी नोड्स में फैल गया है

M स्‍टेज और FIGO स्‍टेज

M0 कोई दूरस्‍थ फैलाव नहीं
M1 4b कैंसर का दूरस्‍थ फैलाव मौजूद है

जोखिम स्तरीकरण

एंडोमेट्रियल कैंसर को भी निदान के समय उसके ग्रेड, कैंसर के प्रकार और कैंसर के स्‍टेज के आधार पर न्‍यून जोखिम, मध्यम जोखिम और उच्च जोखिम में वर्गीकृत किया गया है। यह डॉक्टर और रोगी को सर्जरी के बाद कैंसर की पुनरावृत्ति के जोखिम को समझने में मदद करता है और डॉक्टर को सबसे उपयुक्त उपचार तैयार करने में मदद करेगा।

न्‍यून जोखिम वाला कैंसर तब होता है जब कैंसर ग्रेड 1 होता है, अंतर्गर्भाशयकला तक सीमित होता है और इसमें वह कोशिका प्रकार नहीं होता है जो उच्च जोखिम वाला होता है।

मध्‍यम जोखिम कैंसर वह कैंसर है जहां कैंसर पेशियों की परत या गर्भाशय ग्रीवा में फैल गया है (चरण 2) और इसमें कैंसर का वह प्रकार नहीं है जिसे उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत किया गया है। मध्‍यम जोखिम कैंसर को पुन: निम्‍न-मध्‍यम जोखिम और उच्‍च-मध्‍यम जोखिम में उपविभाजित किया जाता है। वे कैंसर जो उच्‍च–मध्‍यम जोखिम वाले होते हैं, उनमें ग्रेड 2 और 3 शामिल हैं जिनमें गर्भाशय की मांसपेशी की बाहरी एक तिहाई शामिल होती है या जिनमें बायोप्सी या ऑपरेशन के नमूने पर लसीका या संवहनी आक्रमण दिखाई देता है।

उच्च जोखिम कैंसर वह होता है, जहां कैंसर का स्‍टेज निर्धारण 3 या 4 के रूप में किया जाता है या जो सीरमी एडेनोकार्सिनोमा या स्‍पष्‍ट कोशिका एडेनोकार्सिनोमा पाया जाता है।

कैंसर की ग्रेडिंग

एंडोमेट्रियल कैंसर को बायोप्सी के बाद माइक्रोस्कोप के तहत देखे गए कैंसर की आक्रामकता के आधार पर तीन ग्रेड में बांटा गया है। इन ग्रेडों को 1, 2 और 3 का नाम दिया गया है, जिनमें से 1 कम से कम आक्रामक, 3 सबसे आक्रामक और 2 बीच में है। ग्रेडिंग उपचार की पसंद का निर्धारण करने में एक भूमिका निभाता है।

गर्भाशय या अंतर्गर्भाशयकला (एंडोमेट्रियल) कैंसर का उपचार मुख्य रूप से निदान पर कैंसर के स्‍टेज द्वारा निर्धारित किया जाता है। उपचार के विकल्पों में सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी शामिल हैं और नीचे समझाया गया है।

सर्जरी

गर्भाशय का सर्जिकल निष्‍कासन आमतौर पर एंडोमेट्रियल कैंसर का पहला उपचार है। इस सर्जरी को द्विपक्षीय सल्पिंगो ओअफ़ोरेक्टॉमी के साथ हिस्टेरेक्टोमी कहा जाता है और इसमें गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा, फैलोपियन ट्यूब और डिम्‍बग्रन्‍थि को निकालना शामिल होता है। यह प्रक्रिया या तो निष्‍कासन या श्रोणि और पैरा महाधमनी लिम्फ नोड्स के नमूने के साथ की जाती है। नमूनाकरण में इन नोड्स का या बढ़े हुए नोड्स का या उनमें कैंसर होने का संदेह पैदा करने वाले नोड्स का एक छोटा सा नमूना लेना शामिल होता है। यदि कैंसर ोमेट्रियम से गर्भाशय ग्रीवा तक फैल चुका है तो सर्जरी में गर्भाशय के आसपास के क्षेत्रों के साथ-साथ योनि के एक छोटे से हिस्‍से को निलालना भी शामिल हो सकता है।

कुछ प्रकार के एंडोमेट्रियल कैंसर में, वपा (ओमेंटम) नामक पेट के एक हिस्से को भी निकाल दिया जाता है।

सर्जरी कई तरीकों से की जा सकती है। सर्जरी का सबसे सामान्‍य तरीका ओपन विधि (लैपरोटॉमी) है, जहां चीरा (कट) पेट के निचले हिस्‍से में लगाया जाता है और उसके माध्‍यम से ऑपरेशन किया जाता है। लैप्रोस्‍कोपिक या की होल सर्जरी एक अन्‍य विकल्‍प है जिसका उपयोग मुख्‍यत: प्रारंभिक अवस्‍था के कैंसर के लिए किया जाता है। कुछ केंद्रों में इस सेटिंग में रोबोटिक सर्जरी भी की जाती है। ओपन सर्जरी की तुलना में इसमें से किसी भी नई तकनीक से अस्‍पताल में रहना और जटिलताएं अनुभवी हाथों के चलते कम होती हैं। ऑपरेशन की अवधि आमतौर पर लंबी होती है।

रेडियोथेरेपी

रेडियोथेरेपी एंडोमेट्रियल कैंसर के उपचार का एक महत्वपूर्ण घटक है। यहां, रेडियोथेरेपी मुख्य रूप से सर्जरी के बाद उपयोग की जाती है और इसे एडजुवेंट रेडियोथेरेपी कहा जाता है। एडजुवेंट रेडियोथेरेपी का विचार सर्जरी द्वारा हासिल किए गए इलाज की संभावना को अधिकतम करना है।

रेडियोथेरेपी दो तरह से दी जाती है। एक बाह्य बीम रेडियोथेरेपी है, जहां उपचार कमरे में मौजूद एक मशीन से दिया जाता है जो शरीर के बाहर से उपचार प्रदान करता है। एक एक्‍स-रे करवाने जैसा ही है सिवाय इसके कि किरणें मानक एक्‍स–रे से अधिक तेज होती हैं।

रेडियोथेरेपी देने के दूसरे तरीके को ब्रैकीथेरेपी कहा जाता है, जहां रेडियोधर्मी स्रोत को उपचार के लिए आशयित शरीर के हिस्से में डाला जाता है।

एंडोमेट्रियल कैंसर में, उपचार में अकेले ब्रैकीथैरेपी या बाह्य बीम रेडियोथेरेपी और ब्रैकीथेरेपी शामिल हो सकती हैं। कौन सा उपचार दिया जाए, यह कैंसर के उस स्‍टेज पर आधारित होता है जो सर्जरी के पूरा होने के बाद पाया जाता है।

सर्जरी के बाद, महिलाओं को पाए जाने वाले कैंसर के स्‍टेज और शल्‍यक्रिया किए गए कैंसर की जांच पर देखी गई अन्‍य विशेषताओं के आधार पर न्‍यून कैंसर, मध्यम जोखिम और उच्च जोखिम वाले एंडोमेट्रियल कैंसर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। बहुत कम जोखिम वाले कैंसर के रोगियों को किसी भी एडजुवेंट रेडियोथेरेपी की आवश्यकता नहीं होती है। अन्य रोगियों को अकेले ब्रैकीथेरेपी या बाह्य बीम और ब्रैकीथेरेपी उपचारों के संयोजन की आवश्यकता हो सकती है।

बाह्य बीम रेडियोथेरेपी

जब यह उपचार एंडोमेट्रियल कैंसर में दिया जाता है, तो इसे 5-6 सप्ताह की अवधि में किया जाता है, सप्ताह में 5 दिन के लिए हर दिन एक बार। उपचार क्षेत्र श्रोणि (पेट का निचला हिस्‍सा) होगा। यह उपचार 3डी अनुरूपण या आईएमआरटी जैसी तकनीकों से दिया जा सकता है।

रेडियोथेरेपी के संभावित दुष्प्रभावों में थकावट, त्वचा की लालिमा, उपचारित क्षेत्र में बालों का झड़ना, पतली टट्टी, अधिक बार पेशाब आना, पेशाब करते समय जलन होना जैसे लक्षण शामिल हैं। इनमें से अधिकांश दुष्प्रभाव उपचार के अंत में और उसके बाद एक सप्‍ताह के लिए बढ़ते हैं और उपचार समाप्त होने के कुछ सप्ताह बाद ठीक हो जाते हैं।

ब्रैकीथेरेपी

गर्भाशय के कैंसर में ब्रैकीथेरेपी उपचार का उद्देश्य उस क्षेत्र में कैंसर की पुनरावृत्ति के जोखिम को कम करने के लिए योनि के शीर्ष पर रेडियोथेरेपी की एक उच्च खुराक देना है। इस उपचार में, एक योनि सिलेंडर योनि में डाला जाता है। यह सिलेंडर ब्रैकीथेरेपी मशीन से जुड़ा होता है और रेडियोधर्मी स्रोत को आशयित क्षेत्र में रेडियोथेरेपी देने के लिए सिलेंडर में गुजारा जाता है। प्रत्येक उपचार के लिए सिलेंडर को कुछ मिनटों के लिए रखा जाता है। प्रक्रिया के लिए संवेदनाहारी की आवश्यकता नहीं होती है और सप्ताह में एक या दो बार कुल 3-5 उपचार दिए जाते हैं। इस उपचार के संभावित दुष्प्रभावों में पतली टट्टी का छोटा जोखिम, योनि का दीर्घकालिक संकुचन शामिल है। उपचार पूरा होने के बाद कुछ समय तक नियमित रूप से योनि विस्‍फारक का उपयोग करके इसे कम किया जा सकता है।

कीमोथेरेपी

गर्भाशय कैंसर में कीमोथेरेपी का उपयोग दो सेटिंग्स में किया जाता है। एक सेटिंग को एडजुवेंट कीमोथेरेपी कहा जाता है, जहां उपचार के अवसरों को अधिकतम करने के लिए सर्जरी के बाद यह उपचार दिया जाता है। अन्य सेटिंग उन्नत या मेटास्टैटिक रोग में होती है जहां कैंसर को नियंत्रित करने के लिए कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है।

कुछ मध्यम जोखिम वाले गर्भाशय कैंसरों और उच्च जोखिम वाले अधिकांश गर्भाशय कैंसर में सर्जरी के बाद एडजुवेंट कीमोथेरेपी दी जाती है। आमतौर पर दो दवाओं के संयोजन का उपयोग किया जाता है। उन्हें 6 चक्रों तक हर तीन सप्ताह (चक्र) में एक बार दिया जाता है। एडजुवेंट कीमोथेरेपी के लिए प्रयुक्‍त सामान्‍य दवाओं में कार्बोप्लाटिन और पैक्लिटैक्सेल शामिल हैं।

एकाकी पुनरावृत्‍तियों का उपचार

कुछ रोगियों को प्रारंभिक उपचार पूरा होने के बाद शरीर के केवल एक क्षेत्र में कैंसर की पुनरावृत्ति हो सकती है। ये पुनरावृत्‍तियां योनि के ऊपरी भाग में जिसे योनि कोश कहा जाता है या श्रोणि कहे जाने वाले क्षेत्र में हो सकती हैं। इन पुनरावृत्तियों को रेडियोथेरेपी या सर्जरी से इलाज किया जा सकता है जो इस बात पर निर्भर करता है कि रेडियोथेरेपी का उपयोग पहले किया गया था या नहीं। यदि रेडियोथेरेपी का उपयोग पहले किया गया था, तो इसे फिर से उपयोग नहीं किया जा सकता है, और सर्जरी उस सेटिंग में एकमात्र विकल्प होगा। जब एकाकी पुनरावृत्ति का इलाज किया जाता है तो बीमारी के दीर्घकालिक नियंत्रण का एक उचित मौका होता है।

मेटास्‍टैटिक रोग का उपचार

मेटास्टैटिक रोग या स्टेज 4 के रोग का इलाज अन्‍य स्‍टेज के कैंसरों की तुलना में अलग तरह से किया जाता है। एक बार जब मेटास्टेटिक रोग का निदान किया जाता है, तो उपचार के विकल्प मुख्य रूप से बीमारी को ठीक करने के बजाय इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए होते हैं।

मेटास्टैटिक एंडोमेट्रियल कैंसर में, कीमोथेरेपी का उपयोग आमतौर पर कैंसर और इसके पैदा होने वाले लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। यहां कीमोथेरेपी का उद्देश्य कैंसर को नियंत्रित करना और जीवन को दीर्घायु बनाना है।

इस सेटिंग में इस्तेमाल की जाने वाली सामान्‍य कीमोथेरेपी दवाओं में कार्बोप्लाटिन, पैक्लिटैक्सेल, बेवाकिज़ुमब शामिल हैं।

रेडियोथेरेपी भी कुछ सेटिंग्स में एक विकल्प है जहां इसका उपयोग कैंसर द्वारा उत्‍पन्‍न लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इस उदाहरण में, उपचार की अवधि आमतौर पर कम होती है। पिछले उपचार के बाद एक क्षेत्र में कैंसर की पुनरावृत्ति होने पर भी रेडियोथेरेपी का उपयोग किया जाता है।

हार्मोनल थेरेपी का उपयोग मेटास्टैटिक एंडोमेट्रियल कैंसर में उस समय किया जाता है, जब कीमोथेरेपी के विकल्प समाप्त हो चुके होते हैं या मरीज कीमोथेरेपी प्राप्त करने के लिए शारीरिक रूप से फिट नहीं होता है। हार्मोनल थेरेपी में, प्रोजेस्टेरोन और टैमोक्सीफेन जैसी दवाओं का उपयोग किया जाता है।

गर्भाशय में अधिकांश रोग होने पर सर्जरी कभी-कभी मेटास्टैटिक एंडोमेट्रियल कैंसर के उपचार का एक विकल्प हो सकता है। सर्जरी का उपयोग रोग के साथ गर्भाशय को हटाने के लिए किया जा सकता है यदि उसे ऑपरेशन योग्‍य समझा जाता है।